मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने पर मुहर, लोकसभा में विपक्ष किया का हंगामा

लोकसभा ने बुधवार (30 जुलाई) को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने पर मुहर लगा दी है. सदन में सरकार द्वारा लाए गए वैधानिक प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित पास कर दिया. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि राज्य में शांति और सामान्य स्थिति लौट रही है और इसे जारी रखने के लिए राष्ट्रपति शासन को बढ़ाना आवश्यक है.

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बुधवार को लोकसभा में वैधानिक प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए नित्यानंद राय ने कहा कि पिछले चार महीनों में एक भी हिंसा की घटना नहीं हुई है. उन्होंने ये भी कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से 2,500 से ज्यादा हथियार, 1,900 विस्फोटक और 30,000 राउंड गोला-बारूद बरामद किया गया है. मणिपुर में इस साल 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था.

‘मणिपुर में संघर्ष जातीय था, धार्मिक नहीं’

सदन में हुई चर्चा के दौरान गृह राज्यमंत्री राय ने बताया कि मणिपुर में संघर्ष जातीय था, धार्मिक नहीं. उन्होंने ये भी बताया कि मणिपुर में हुई हिंसा में बाहरी लोग भी शामिल थे और उनके आवश्यक सोशल मीडिया पोस्ट ने इसको बढ़ाने में बड़ी भूमिका अदा की. उन्होंने कहा कि आरक्षण से संबंधित हाई कोर्ट के एक फैसले को लेकर हिंसा फैली और वह हिंसा जातीय थी. उन्होंने कहा कि दो धर्मों के बीच कोई संघर्ष नहीं हुई और न ही अभी हो रहा है.

राय ने इस बात पर जोर दिया कि शांति-व्यवस्था बहाल करने के लिए राष्ट्रपति शासन जरूरी है. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने संकल्प को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. लोकसभा ने बीचे 2 अप्रैल को राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी सांविधिक संकल्प को मंजूरी दी थी.

कांग्रेस ने किया विरोध

इस बीच इनर मणिपुर से कांग्रेस सांसद ए. बिमोल अकोईजाम ने राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने पर आपत्ति जताई और राज्य विधानसभा को भंग करने की मांग की ताकि नए चुनाव कराए जा सकें और जनता के जनादेश से सरकार बनाई जा सके. वहीं चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के एंटो एंटनी ने कहा कि मणिपुर में सिर्फ कानून व्यवस्था ही नहीं, बल्कि वहां का शासन पूरी तरह धराशायी हो गया.

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर की जनता की जरूरत के समय चुप्पी साधे रखी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह विफल रही. समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के भाषण में जो अहंकार झलकता है. उसी कारण मणिपुर में चुनाव नहीं करा पा रहे. दो सांसद वाले छोटे से राज्य में चुनाव में नहीं हो पा रहे. तृणमूल कांग्रेस की सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने भी राज्य में नए चुनाव कराने की मांग की.

‘मणिपुर फिलहाल राष्ट्रपति के अंदर है’

वहीं बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि चूंकि मणिपुर फिलहाल राष्ट्रपति के अंदर है लिहाजा सदन में इस मामले पर चर्चा करना उचित नहीं है. इधर मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव लोकसभा में पारित राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के लिए राज्यसभा से भी प्रस्ताव पारित करवाना होगा.

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