मध्य प्रदेश में मोहन सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है, दरअसल, प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए अब प्रदेश सरकार ने एक और फॉर्मूला निकाला है. जिसके तहत अब प्राइवेट डॉक्टर भी सरकारी अस्पतालों में जाकर मरीजों का इलाज कर सकेंगे. ऐसा होने से उन मरीजों को सबसे ज्यादा लाभ होगा जो महंगे खर्चों पर निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च वहन नहीं कर पाते हैं. हालांकि जो प्राईवेट डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज करने के लिए आएंगे उन्हें सरकार की तरफ से पैसा दिया जाएगा.
दरअसल, डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए मोहन सरकार यह फॉर्मूला लाई है. जहां रोगी कल्याण समिति शहर के ऐसे प्राइवेट डॉक्टरों का चयन करेगी जो सरकारी अस्पतालों में आकर मरीजों का इलाज करेंगे. हफ्ते में एक दिन विशेषज्ञ डॉक्टर दो घंटे की सेवाएं सरकारी अस्पतालों में दे सकेंगे. जहां प्रति विजिट सरकार 2 से 3 हजार रुपए का भुगतान डॉक्टर्स के लिए करेगी. ऐसा होने से मरीजों को इलाज भी मिल सकेगा और सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा.
बता दें कि मध्य प्रदश में 2374 विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद खाली है, जिसमें चिकित्सा अधिकारी के 1054 और डेंटिस्ट के 314 पद खाली हैं, इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 42 प्रतिशत पद खाली हैं, जबकि महिला रोग विशेषज्ञों के 332 में से 39 डॉक्टर ही मौजूद हैं. यानि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी साफ दिख रही है. दरअसल, डॉक्टरों की कमी की वजह से डिस्पेंसरी में डॉक्टर समय से नहीं मिल पाते हैं. वहीं विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी होने की वजह से भी मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जबकि प्राइवेट अस्पतालों का खर्चा भी ज्यादा होने से मरीज परेशान होते हैं.
मध्य प्रदेश में सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी दिख रही है. ऐसे में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पिछले कुछ समय से डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टरों के नए पदों पर भर्ती की बात भी सामने आी है. लेकिन भर्ती प्रक्रिया कब तक शुरू होती है. यह देखने वाली बात होगी.