आयुष्मान भारत-पीएम जन आरोग्य योजना (Ayushman Bharat-PM Jan Arogya Yojana) के तहत अस्पतालों के पैनल में तेजी से गिरावट दिख रही है, जो पिछले साल 2024 में औसतन हर महीने 316 से घटकर 2025 में हर महीने 111 तक आ गई है.
नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) की ओर से इस स्कीम के डैशबोर्ड पर साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि 4 महीनों में पूरे देशभर में AB-PMJAY के तहत 443 अस्पताल पैनल में शामिल किए गए थे, इस साल जनवरी में 161, फरवरी में 187, मार्च में 40 और अप्रैल में 55 पैनल में शामिल हुए. अब तक के मिले अपडेट से पता चलता है कि मई महीने में 20 तारीख तक सिर्फ एक अस्पताल ही पैनल में शामिल हुआ था.
AB-PMJAY के तहत देशभर में 31,916 अस्पताल पैनल में शामिल हैं जिसमें 17,440 सरकारी अस्पताल हैं जबकि 14,476 प्राइवेट अस्पताल हैं. इन अस्पतालों में अब तक कुल मिलाकर 8.59 करोड़ भर्ती हो चुके हैं, जबकि पिछले 30 दिनों में करीब 20 लाख यानी 19.83 लाख भर्ती हुए.
कई स्वास्थ्य सेवा संघों ने बताया कि प्राइवेट सेक्टर, खासतौर से बड़े कॉर्पोरेट अस्पतालों की चेन से सरकारी योजनाओं के प्रति उदासीन रवैया के पीछे कम पैकेज रेट्स और देरी से भुगतान प्रमुख वजहों में शामिल हैं. हालांकि, एनएचए के एबी-पीएमजेएवाई की कार्यान्वयन एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पैनल में अस्पतालों को शामिल करने की प्रक्रिया चल रही है और हो सकता है कि कुछ नए पैनल अपडेट न किए गए हों क्योंकि वे एक नई प्रणाली में माइग्रेट हो रहे हैं.
IMA भी कर चुका है सरकार से ये मांग
पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध AB-PMJAY के तहत मेडिकल ऑन्कोलॉजी (कैंसर का इलाज), आपातकालीन देखभाल, ऑर्थोपेडिक और यूरोलॉजी (गुर्दे से संबंधित बीमारियों) समेत अन्य विशेषताओं से जुड़ी करीब 2,000 प्रक्रियाओं के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपये और कुछ मामलों में इससे भी अधिक का इलाज किया जाता है.
केंद्र सरकार की इस अहम योजना में शामिल होने वाला सबसे नया राज्य (केंद्र शासित प्रदेश) दिल्ली में एक दिग्गज अस्पताल चेन के सीईओ ने अखबार TOI को बताया कि AB-PMJAY के तहत अलग-अलग प्रक्रियाओं के लिए पेश किए जाने वाले पैकेज दरें उनकी इनपुट लागत से कहीं कम हैं. उन्होंने कहा, “यदि पैकेज दरें बढ़ाई जाती हैं तो हम इस योजना में शामिल हो सकते हैं.”
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी योजना के तहत इलाज को अधिक टिकाऊ बनाने के लिए पैकेज दरों में बढ़ोतरी की बात कही है. IMA के एक पदाधिकारी ने कहा, “इन दरों को कम से कम CGHS स्तर तक बढ़ाया जाना चाहिए.” इससे पहले मार्च में संसद में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया कि 2018 से अब तक 609 प्राइवेट अस्पतालों ने इस योजना से खुद को बाहर कर लिया है.