अंबिकापुर में ग्लैंडर्स संक्रमित दो घोड़ों को जहर देकर मारने की प्रक्रिया शुरू: बीमारी की पुष्टि के बाद प्रशासन का फैसला

सरगुजा जिले में घोड़ों, गधों और खच्चरों में पाई जाने वाली खतरनाक संक्रामक बीमारी ग्लैंडर्स की पुष्टि हुई है। पांचवी बार भेजे गए सैंपल में इसकी पुष्टि हुई है। शादी-विवाह में इस्तेमाल होने वाले दो घोड़े में ग्लैंडर्स के लक्षण मिले थे। इसकी पुष्टि के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार को ब्लड सैंपल भेजा गया था। यह खतरनाक बिमारी घोड़ों से इंसानों में भी फैल सकती है।

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बता दें कि पांचवीं बार भेजे गए दोनों घोड़ों के ब्लड सैंपल पॉजिटिव मिले हैं। दोनों घोड़ों को निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत जहर देकर मारा जाएगा। शासन की ओर से पांच पशु चिकित्सकों की टीम गठित की गई है। ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के बाद अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र में अगले तीन महीने तक अश्व प्रजाति के पशुओं के आवागमन पर प्रतिबंध लगाया गया है। राज्य सरकार ने इसके लिए आदेश जारी किए हैं।

जहर देकर मारने की अनुमति

बता दें कि ग्लैंडर्स की पुष्टि तभी हो सकती है, जब दोनों रिपोर्ट पॉजिटिव आएं। अब दोनों घोड़ों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। प्रोटोकॉल के तहत इन घोड़े को निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार जहर देकर मारा जाएगा। इसके लिए कलेक्टर से अनुमति लेकर दोनों घोड़ों को शुक्रवार मारने की तैयारी है।

शादी समारोहों में इस्तेमाल होते थे घोड़े

बताते चलें कि सरगुजा में शादी समारोहों में इस्तेमाल होने वाले एक घोड़े में ग्लैंडर्स के लक्षण मिले थे। उस घोड़े को दूसरे घोड़े के साथ रखा गया था। इन घोड़ों के ब्लड सैंपल जांच के लिए चार बार राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार भेजे गए थे, लेकिन इन रिपोर्ट में एक घोड़े की रिपोर्ट पॉजिटिव और दूसरे की नेगेटिव आई थी। पांचवीं बार भेजे गए दोनों सैंपल पॉजिटिव मिले हैं।

“बर्कहोल्डरिया मैलेई” बैक्टीरिया के होती है यह बिमारी

उत्तर छत्तीसगढ़ के घोड़ों में पहली बार यह बीमारी मिली है। सरगुजा में कुल 28 घोड़े हैं। संक्रमित घोड़े को अंबिकापुर शहर में ही दो अन्य घोड़ों के साथ रखा गया है। इन्हीं घोड़ों के साथ रहने वाले एक घोड़े की पहले मौत हो चुकी है। यह बीमारी “बर्कहोल्डरिया मैलेई” बैक्टीरिया से होती है। यह मनुष्यों सहित अन्य जानवरों में भी फैल सकती है, जिससे इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है।

 

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