गरियाबंद में जहरीले सांपों की शोभायात्रा: ऋषि पंचमी पर सांवरा समाज की अनूठी परंपरा

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में ऋषि पंचमी के अवसर पर एक अनूठी और प्राचीन परंपरा निभाई गई। देवरी गांव में जहरीले सांपों की शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें आसपास के गांवों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। यह आयोजन धार्मिक आस्था और पर्यावरण संरक्षण का संगम माना जाता है।

परंपरा के अनुसार, ग्रामीण घरों और खेतों में पाए जाने वाले जहरीले सांपों को सुरक्षित तरीके से पकड़ते हैं। इन सांपों की पूजा-अर्चना की जाती है और फिर पूरे गांव में शोभायात्रा निकाली जाती है। यात्रा के दौरान लोग जगह-जगह रुककर पूजा-अर्चना करते हैं और सांपों को दिव्य रूप मानकर श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

पूजा और शोभायात्रा के बाद सभी सांपों को सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ दिया जाता है। देवरी गांव की सांवरा गुरु पाठशाला इस परंपरा का प्रमुख केंद्र है, जहां युवाओं को सांपों को सुरक्षित ढंग से पकड़ना और उनका संरक्षण करना सिखाया जाता है। इससे न केवल सांपों को बचाने की कला सीखी जाती है, बल्कि लोगों में जागरूकता भी बढ़ती है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा कई वर्षों से निरंतर निभाई जा रही है और खास बात यह है कि अब तक किसी भी साल इस आयोजन के दौरान सर्पदंश की घटना सामने नहीं आई है। यह विश्वास लोगों की आस्था को और मजबूत करता है।

हर साल होने वाली यह शोभायात्रा अब गरियाबंद क्षेत्र की पहचान बन गई है। इसे देखने और इसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। धार्मिक महत्व के साथ-साथ यह परंपरा प्रकृति और जीव-जंतुओं के संरक्षण का भी संदेश देती है, जो समाज को संतुलन और सह-अस्तित्व का पाठ पढ़ाती है।

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