उदयपुर फाइल्स’ के प्रोड्यूसर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, याचिका में मौलाना मदनी को बनाया पक्ष

कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है. फिल्म के निर्माता ने इसकी रिलीज पर रोक लगाने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. फिल्म निर्माता ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी को प्रथम पक्ष बनाया है.जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉय माल्या बागची की बेंच इस याचिका पर कल 16 जुलाई (बुधवार) को सुनवाई करेगी.

Advertisement1

बीते सोमवार को फिल्म निर्माता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया की अर्जी पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉय माल्या बागची ने जल्द सुनवाई का आश्वासन दिया था. जिसके बाद अब बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. एससी में दाखिल अपनी याचिका में भाटिया कहा कि सीबीएफसी ने पहले ही फिल्म उदयपुर फाइल्स को मंजूरी दे दी है और इसे रिलीज न करना उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.

वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कल रात सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट भी दायर की थी, जिसका अर्थ है कि अब मदनी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल भी मामले की सुनवाई के दौरान पेश होंगे और बहस करेंगे. इसके साथ ही फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में याचिका दाखिल की है. याचिका में दावा किया गया है कि यह फिल्म घृणा पर आधारित है, समाज में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे सकती है और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को नुकसान पहुंच सकता है.

मदनी ने अपनी याचिका में कहा है कि सेंसर बोर्ड द्वारा 55 सीन हटाने के बावजूद फिल्म का स्वरूप वही बना हुआ है और इसकी प्रचार गतिविधियों से देश में हिंसा फैल सकती है. उनका कहना है कि ये फिल्म राष्ट्रहित में नहीं है, इसलिए इसे प्रदान किया गया सेंसर सर्टिफिकेट रद्द किया जाए. दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देशानुसार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को मौलाना अरशद मदनी की याचिका पर एक सप्ताह के भीतर सुनवाई कर निर्णय लेना होगा. इस बीच फिल्म की रिलीज पर रोक जारी रहेगी.

‘देश की छवि को हुआ नुकसान’

याचिका में यह भी कहा गया है कि नूपुर शर्मा के विवादास्पद बयान के चलते भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले ही बहुत बदनामी हो चुकी है, जिस कारण भारत सरकार को राजनयिक स्तर पर स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा था कि भारत सभी धर्मों और समुदायों का सम्मान करता है. साथ ही नूपुर शर्मा को उसके बयान के बाद बीजेपी प्रवक्ता के पद से हटाना पड़ा था. इन्हीं वजहों से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को आंशिक सुधार मिला था.

2022 में हुई थी कन्हैयालाल की हत्या

दरअसल जून 2022 में राजस्थान के उदयपुर में दर्जी का काम करने वाले कन्हैयालाल की बेरहमी से हत्या हुई थी. इस जघन्य घटना से पूरे देश में बवाल मच गया था. उस समय पैगम्बर मोहम्मद के बारे में बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के एक बयान को लेकर काफी विवाद चल रहा था. कन्हैयालाल ने नूपुर का समर्थन करने वाला एक पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर किया था, जिसके बाद मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस नाम के दो लोगों ने उनकी निर्मम हत्या कर दी थी. आरोप है कि कई और लोगों ने हत्या में सहयोग किया. इस घटना को लेकर जमकर राजनीति भी हुई थी.

Advertisements
Advertisement