लेह शहर में हिंसक प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने धारा 163 लागू करते हुए प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिया है. इसके तहत सक्षम प्राधिकारी की पूर्व लिखित अनुमति के बिना कोई भी जुलूस, रैली, मार्च या सार्वजनिक सभा नहीं निकाली जा सकती. इसके अलावा वाहन या लाउडस्पीकर का उपयोग भी पूर्व स्वीकृति के बिना प्रतिबंधित रहेगा.
आदेश के मुख्य बिंदु
- सक्षम प्राधिकारी की पूर्व लिखित स्वीकृति के बिना कोई भी जुलूस, रैली या मार्च आदि नहीं निकाला जाएगा.
- कोई भी व्यक्ति सक्षम प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति के बिना वाहन या अन्य लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं करेगा.
- कोई भी व्यक्ति ऐसा कोई बयान नहीं देगा जिससे सार्वजनिक शांति भंग होने की संभावना हो और जिससे जिले में कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो.
- जिला लेह के अधिकार क्षेत्र में पाँच या अधिक व्यक्तियों का एकत्र होना प्रतिबंधित रहेगा.
क्या है हिंसा और प्रदर्शन की वजह?
बुधवार (24 सितंबर) को लेह में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई. नाराज प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों पर पथराव किया और एक पुलिस वाहन को आग लगा दी. लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा उपाय लागू करने की मांग को लेकर कई दिन से जारी आंदोलन में यह पहली हिंसक घटना रही. प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय पर भी हमला किया और वहां आग लगा दी. इस दौरान कई युवा छात्र, जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षक सोनम वांगचुक भी शामिल थे. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा पूरा करने की मांग की.
लेह एपेक्स बॉडी की मांग
लेह एपेक्स बॉडी ने राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग पूरी होने तक भूख हड़ताल जारी रखने की घोषणा की है. सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने कहा कि सरकार के साथ कोई समझौता होने तक हड़ताल समाप्त नहीं होगी. गृह मंत्रालय ने छह अक्टूबर को लद्दाख प्रतिनिधिमंडल से अगले दौर की चर्चा की तारीख भी तय की है. हिंसक घटनाओं के बाद प्रशासन और सुरक्षा बलों ने पूरे शहर में तैनाती बढ़ा दी है.