मनेंद्रगढ़ में चित्रगुप्त और साईं मंदिर को राजसात करने का विरोध, कायस्थ समाज नाराज

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ में साईं मंदिर और चित्रगुप्त मंदिर को राजसात करने के प्रशासनिक फैसले के खिलाफ कायस्थ समाज लामबंद हो गया है। समाज के लोगों ने इस निर्णय पर गहरी नाराजगी जताई है और हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने की बात कही है। कायस्थ समाज का कहना है कि मंदिरों को नुकसान पहुंचाए बिना ही अस्पताल उन्नयन का कार्य किया जा सकता है।

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कायस्थ समाज के जिला अध्यक्ष स्वप्निल सिन्हा ने बताया कि प्रशासन का यह फैसला असंवेदनशील है। उन्होंने कहा कि आज तक किसी भी मंदिर को राजसात नहीं किया गया और धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए समाज हर संभव प्रयास करेगा। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि मंदिरों को राजसात करने के फैसले पर पुनर्विचार करे।

इस मामले में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने भी बयान जारी करते हुए कहा कि अपने धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए वे पूरी तरह सजग हैं। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल के निर्माण के बहाने सामाजिक और धार्मिक महत्व के मंदिर को नुकसान पहुंचाने की मंशा हो सकती है।

कायस्थ समाज ने प्रशासन से तीन मुख्य मांगें रखी हैं। पहली, मंदिरों को राजसात न किया जाए। दूसरी, अस्पताल उन्नयन का कार्य मंदिर को नुकसान पहुंचाए बिना किया जाए। तीसरी, समाज ने उच्च न्यायालय में अपील करने की बात कही है।

मनेंद्रगढ़ में 200 बिस्तर वाले आधुनिक अस्पताल का निर्माण होना है। इसके लिए हाईकोर्ट ने साईं मंदिर और चित्रगुप्त मंदिर को राजसात करने का निर्देश दिया है। हालांकि समाज ने शहर में बड़े अस्पताल के निर्माण की खुशी व्यक्त की, लेकिन सरगुजा संभाग के एकमात्र चित्रगुप्त मंदिर को किसी भी तरह की क्षति न पहुंचे, यह उनकी मुख्य चिंता है।

कायस्थ समाज ने मंदिर परिसर को भावनात्मक, धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का केंद्र बताया। उनका कहना है कि यह केवल मंदिर नहीं, बल्कि समाज की पहचान और श्रद्धा का प्रतीक है। इसलिए यह आवश्यक है कि अस्पताल का निर्माण मंदिर को नुकसान पहुंचाए बिना ही किया जाए।

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