मेड़ता सिटी: मेड़ता सिटी शहर का एकमात्र राजकीय बालिका विद्यालय शिक्षको संकट से जूझ रहा है. विद्यालय के कार्यवाहक प्रिंसिपल रविंदर बालोटिया ने मीडिया को जानकारी देते हुए बतायाकी विद्यालय में स्वीकृत 27 शिक्षक पदों में से 13 पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं, जिसका सीधा असर स्कूल के नामांकन और शैक्षणिक गुणवत्ता पर पड़ रहा है. वर्तमान में यहां मात्र 5 महिला शिक्षिकाएं कार्यरत हैं, जो बढ़ते संकट की ओर इशारा करता है.
स्कूल के कार्यवाहक प्रिंसिपल रविंद्र बालोटीया ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि व्याख्याताओं के 11 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 8 पद रिक्त हैं। रिक्त पदों में होम साइंस का एक पद, अंग्रेजी विषय के दो पद, और विज्ञान के प्रमुख विषयों—फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी—के व्याख्याता पद शामिल हैं. उन्होंने चिंता जताते हुए कहा, “विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षकों की अनुपस्थिति में बालिकाएं कैसे अध्ययन करें, यह एक बड़ा सवाल है.”
नामांकन में गिरावट चिंता का विषय
शिक्षकों की कमी के चलते विद्यालय में नामांकन लगातार घट रहा है. पिछले दो वर्षों में करीब 300 विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई है. कार्यवाहक प्रिंसिपल ने बताया कि रिक्त पदों के कारण शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं, जिससे अभिभावक अपने बच्चों को अन्य स्कूलों में भेजने को मजबूर हो रहे हैं. यह स्थिति न केवल विद्यालय के भविष्य के लिए खतरा है, बल्कि बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयासों पर भी सवाल उठाती है.
विज्ञान की पढ़ाई पर संकट
विज्ञान विषयों के व्याख्याताओं की अनुपस्थिति ने स्कूल की स्थिति को और गंभीर बना दिया है. बालिकाओं के लिए विज्ञान की शिक्षा बेहतर भविष्य का आधार मानी जाती है, लेकिन शिक्षकों के अभाव में यह संभव नहीं हो पा रहा. अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने इस मुद्दे को लेकर प्रशासन से त्वरित हस्तक्षेप की मांग की है.
महिला शिक्षकों की कमी बनी चुनौती
यह विद्यालय महिला शिक्षा के लिए समर्पित है, लेकिन यहां मात्र 5 महिला शिक्षक कार्यरत हैं. इतने बड़े विद्यालय में शिक्षिकाओं की इतनी कम संख्या प्रशासन की अनदेखी को दर्शाती है.
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी
इस संकट के बावजूद राजस्थान सरकार में जनप्रतिनिधियों और शिक्षा विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. रिक्त पदों को भरने के लिए कोई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है, जिससे स्कूल स्टाफ और छात्राओं में निराशा बढ़ रही है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह विद्यालय अपनी पहचान खो सकता है.
आगे की राह
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि मेड़ता सिटी के इस राजकीय बालिका विद्यालय की स्थिति राज्य के कई अन्य सरकारी स्कूलों की भी हकीकत को दर्शाती है. विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सरकार को न केवल रिक्त पदों को तत्काल भरना चाहिए, बल्कि शिक्षकों की नियुक्ति में पारदर्शिता और तेजी लानी चाहिए ताकि बालिका शिक्षा को मजबूत किया जा सके.
फिलहाल, विद्यालय की यह दयनीय स्थिति सुधार की प्रतीक्षा में है. प्रशासन के कदम ही तय करेंगे कि क्या यह स्कूल अपनी खोई हुई गरिमा और छात्र संख्या को पुनः प्राप्त कर पाएगा.