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पुणे पोर्श कार हादसाः नाबालिग आरोपी के पिता पर कसा शिकंजा, सबूत मिटाने की कोशिश, झूठी जानकारी देने के मामले में दो और मुकदमें होंगे दर्ज

पुणे: पुणे पोर्श कार हादसे को लेकर पुलिस एक्टिव हो गई है. इस मामले में नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल के खिलाफ दो और मुकदमे दर्ज होंगे. विशाल के खिलाफ धारा 201 और धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. धारा 201 में सबूत मिटाने की कोशिश का मामला दर्ज होगा. क्योंकि पुलिस जांच में पता चला है कि विशाल ने अपने ड्राइवर से कहा था कि वह पुलिस से झूठ बोले कि वह कार चला रहा था.

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इसके साथ ही आरटीओ की शिकायत के बाद आरोपी के पिता विशाल के खिलाफ धारा 420 के तहत दूसरा मामला दर्ज किया जाएगा. दरअसल पुलिस को पहले ये बताया गया था कि पॉर्श कार के रजिस्टर्ड थी, लेकिन कार का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ था. ये झूठी जानकारी थी.

वहीं, दूसरी ओर सोशल मीडिया पर गुरुवार (23 मई) को 2 वीडियो वायरल हुए. इन वीडियो को लेकर दावा किया गया था कि इसमें दिखाई दे रहा लड़का पुणे दुर्घटना मामले का आरोपी है. इस वीडियो में वह लड़का गाली-गलौज करते हुए भी दिख रहा है और वह खुद के अमीर बता रहा है. अब सामने आ रहा है कि वीडियो में दिखाई दे रहा लड़का नाबालिग आऱोपी नहीं है, बल्कि मध्य प्रदेश का रहने वाला आर्यन है. अब पुणे पुलिस आर्यन की तलाश में है. जानकारी के मुताबिक पुलिस उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करेगी.

इस मामले में पुलिस ने नाबालिग आरोपी के दादा से भी पूछताछ की थी. इसी बीच नाबालिग ने दावा किया है कि दुर्घटना के समय उसका फैमिली ड्राइवर गाड़ी चला रहा था. नाबालिग के दो दोस्त, जो दुर्घटना के समय उसके साथ थे, उन्होंने उसके दावों का समर्थन किया है. पुलिस उस पूरे रास्ते के सीसीटीवी फुटेज एकत्र कर रही है, जहां से कार गुजरी. इसमें घर से लेकर रेस्तरां तक, फिर ब्लैक क्लब और वहां से दुर्घटना स्थल तक शामिल है. पुलिस यह देख रही है कि दुर्घटना के समय कार कौन चला रहा था. फोरेंसिक टीम ने दुर्घटना में शामिल पोर्श कार की भी जांच की.

क्या था मामला?

ये घटना 19 मई की सुबह की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 वर्षीय बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई. इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई. कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था. हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था.

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