क्वाड देशों ने शनिवार (अमेरिकी समयानुसार) को आयोजित नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार के प्रति अपना समर्थन जताया. इस दौरान स्थायी और अस्थायी सदस्यों की श्रेणियों में विस्तार की जरूरत पर भी जोर दिया गया. भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने ‘विलमिंगटन घोषणा’ में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अधिक प्रतिनिधिक, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि विस्तारित सुरक्षा परिषद में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए.
संयुक्त घोषणा में कहा गया कि “हम अपने वैश्विक और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ मिलकर उन अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और पहलों का समर्थन जारी रखेंगे जो वैश्विक शांति, समृद्धि और सतत विकास का आधार हैं. हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तीन स्तंभों के प्रति अपने अडिग समर्थन को दोहराते हैं,” क्वाड देशों ने यह भी कहा कि वे अपने साझेदारों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र, उसके चार्टर और उसकी एजेंसियों की अखंडता को कमजोर करने के एकतरफा प्रयासों का मुकाबला करेंगे.
घोषणा में यह भी शामिल था कि “हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करेंगे, और इसे अधिक प्रतिनिधिक, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की जरूरत को मान्यता देते हुए स्थायी और अस्थायी श्रेणियों में विस्तार करेंगे. इस विस्तार में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व शामिल होना चाहिए.”
इससे पहले, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान वैश्विक संस्थानों में सुधार के लिए भारत की महत्वपूर्ण आवाज़ को मान्यता देने की बात की, जिसमें भारत को यूएनएससी में स्थायी सदस्यता देने का समर्थन भी शामिल है. व्हाइट हाउस द्वारा जारी संयुक्त तथ्य पत्र में कहा गया, “राष्ट्रपति बाइडन ने प्रधानमंत्री मोदी से साझा किया कि संयुक्त राज्य अमेरिका वैश्विक संस्थानों में सुधार की पहलों का समर्थन करता है ताकि भारत की महत्वपूर्ण आवाज को सही मंच मिले, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता भी शामिल है.”
शनिवार को विलमिंगटन, डेलावेयर में आयोजित क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने भाग लिया. यह छठा क्वाड नेताओं का शिखर सम्मेलन था, जो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के पद छोड़ने से पहले उनका ‘विदाई’ शिखर सम्मेलन भी माना जा रहा है.
क्वाड देशों ने अपने संयुक्त बयान में सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की ‘स्पष्ट निंदा’ की, जिसमें सीमा पार आतंकवाद भी शामिल है, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया. उन्होंने 26/11 मुंबई हमलों और 2016 के पठानकोट आतंकवादी हमले सहित आतंकवादी हमलों की निंदा की और इसके अपराधियों को सज़ा दिलाने के लिए प्रतिबद्धता जताई.