मध्य प्रदेश की नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी के जाति प्रमाण पत्र पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कहा कि वह सतना जिले के जिस रैगांव विधानसभा का प्रतिनिधित्व करती हैं, वह अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित है, लेकिन बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में रहने वाले बागरी जाति के लोग मूल रूप से ठाकुर (राजपूत) समुदाय से आते हैं।
राज्य स्तरीय छानबीन समिति और भारत सरकार भी इस संबंध में स्थिति स्पष्ट कर चुकी है। इसके बाद भी प्रतिमा ने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवाकर चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर जांच कराने और कार्रवाई की मांग की है।
यह आरोप मध्य प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने लगाया है। उन्होंने मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुए पत्रकार वार्ता बुलाकर कहा कि 2003 में राज्य सरकार ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि बुंदेलखंड, महाकोशल और विंध्य क्षेत्र में रहने वाले राजपूत बागरी समाज के लोगों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी न किया जाए।
इसके बाद 2007 में भारत सरकार ने भी यह स्पष्ट कर दिया था कि राजपूत ठाकुर समुदाय के ‘बागरी’ जाति के लोग अनुसूचित जाति में शामिल नहीं हैं, इसलिए उन्हें अनुसूचित जाति वर्ग का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाना चाहिए।
सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो कोर्ट में जाएंगे
इसके बावजूद प्रतिमा बागरी को गलत तरीके से जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया। उन्होंने अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर मंत्री भी बन गईं। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार इस मामले की जांच करके कार्रवाई नहीं की तो न्यायालय की शरण ली जाएगी।
कांग्रेस नेताओं को जानकारी का अभाव : प्रतिमा
वहीं, राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी ने अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस के नेताओं को जानकारी का अभाव है। वे पहले राजपत्र पढ़ लेते। आज कल तो सारी जानकारी इंटरनेट पर सहज उपलब्ध हैं। जब मुझे मंत्री बनाया गया तो इन्हें जाति की याद आई।
इसके पहले कांग्रेस ही बागरी को टिकट देती आई है। भाजपा से जुगल किशोर बागरी लंबे समय तक विधायक-मंत्री रहे, तब यह बात क्यों नहीं उठी। आरोप लगाने के पहले इतिहास को देख-पढ़ लेना चाहिए। इनके विरुद्ध तो मिथ्या आरोप लगाने पर कार्रवाई होनी चाहिए।