छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री समेत अब 14 मंत्री हो गए हैं। विधानसभा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मंत्रिमंडल की संख्या को असंवैधानिक बताया है। साथ ही, संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए एक अतिरिक्त मंत्री को पद से हटाए जाने की मांग की है।
महंत ने अपने पत्र में कहा है कि छत्तीसगढ़ मंत्रिपरिषद की मौजूदा संख्या संविधान के अनुच्छेद 164 (1क) के विपरीत है और इसमें तत्काल सुधार करने की मांग राज्यपाल से की है। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 164(1क) संविधान (91वां संशोधन) अधिनियम, 2003 द्वारा जोड़ा गया था। इसके बाद से प्रदेश में 13 मंत्री का ही प्रावधान है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब छत्तीसगढ़ में 22 साल बाद प्रदेश में 14 मंत्री बनाए गए हैं।
निर्धारित सीमा से अधिक है संख्या
डॉ. महंत ने राज्यपाल को भेजे गए पत्र में लिखा है कि संविधान के अनुच्छेद 164 (1क) के अनुसार, किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों की कुल संख्या विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या के 15% से ज्यादा नहीं हो सकती। लेकिन यह संख्या 12 से कम भी नहीं होनी चाहिए।
डॉ. महंत ने कहा कि अगर किसी राज्य में मंत्रियों की संख्या तय सीमा से ज्यादा हो जाती है, तो उसे छह महीने के अंदर इसे निर्धारित सीमा में लाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में कुल 90 विधायक हैं, इसलिए संविधान के अनुसार, मंत्रियों की संख्या 15 प्रतिशत से ज्यादा यानी 13.50 से अधिक नहीं हो सकती। महंत ने कहा कि कि मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 13 मंत्री ही मंत्रिपरिषद में हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, 20 अगस्त को तीन नए मंत्रियों के शपथ लेने के बाद छत्तीसगढ़ में मंत्रिपरिषद की संख्या मुख्यमंत्री सहित 14 हो गई है। यह संख्या निर्धारित सीमा 13.50 से अधिक है, जो स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 164 (1क) का उल्लंघन है।
छत्तीसगढ़ में संविधान का पालन सुनिश्चित हो-महंत
नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में जोर देते हुए कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, राज्यपाल को एक मंत्री को तत्काल पद से हटाना चाहिए, ताकि छत्तीसगढ़ में संविधान का पालन सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ संवैधानिक बाध्यता ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के संरक्षण के लिए भी आवश्यक है.