छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने शिक्षा विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए जमकर फटकार लगाई।
दरअसल, प्रदेश में बगैर मान्यता के चल रहे नर्सरी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव से जवाब मांगा था। लेकिन, सुनवाई के दौरान संयुक्त सचिव ने शपथ पत्र दिया। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसी छूट के लिए आवेदन जरूरी है।
हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव से ही शपथ पत्र देने के निर्देश दिए हैं। उन्हें बताने को कहा गया है कि बगैर मान्यता के चल रहे नर्सरी स्कूलों पर क्या कार्रवाई की? अब केस की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी।
बिना मान्यता के चल रहे नर्सरी स्कूलों के खिलाफ आरटीआई कार्यकर्ता विकास तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में हाईकोर्ट में बुधवार को शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया।
जबकि, हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव से शपथ पत्र मांगा था। उनकी व्यस्तता और बाहर होने का हवाला देते हुए संयुक्त सचिव ने शपथ पत्र दिया। जिसे देखकर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की। साथ ही कहा कि ऐसी छूट के लिए आवेदन जरूरी है।
चीफ जस्टिस बोले- कोर्ट की कार्रवाई को हल्के में न लें अफसर
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया कि छूट के लिए अलग से आवेदन देने का सिस्टम नहीं है। इस पर चीफ जस्टिस सिन्हा ने इस स्पष्टीकरण से असहमति जताते हुए कहा कि
कोर्ट की कार्यवाही को किसी भी व्यक्ति द्वारा हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, चाहे वह सामान्य पक्षकार हो या राज्य सरकार का कोई अधिकारी। उन्होंने सख्त चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी छूट के लिए एक अलग आवेदन अनिवार्य रूप से दें।
2013 से जारी है आदेश, फिर भी कार्रवाई नहीं
हाईकोर्ट ने राज्य शासन से कहा कि 5 जनवरी 2013 को ही एक परिपत्र जारी कर प्रदेश में बिना मान्यता वाले नर्सरी और प्ले स्कूलों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे।
इसके बावजूद पिछले 15 सालों से ऐसे संस्थान खुलेआम संचालित हो रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर लापरवाही है और अब स्पष्ट कार्ययोजना पेश करनी होगी।
जानकारी जुटाने का काम शुरू, समिति गठित
राज्य सरकार ने अपने जवाब में बताया कि 16 सितंबर 2025 को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि 15 दिन के भीतर प्रदेश के सभी प्ले स्कूल और प्री-प्राइमरी स्कूलों की जानकारी अनिवार्य रूप से एकत्रित करें।
इसके साथ ही, 2 सितंबर को एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो नई शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिशों के अनुरूप नए नियम और गाइडलाइन तैयार करेगी।