भारतीयों के स्विस बैंक खातों में जमा धन और विदेशों में छिपाए गए कालेधन को लेकर एक बार फिर संसद में सवाल उठा। उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान ने राज्यसभा में पूछा कि क्या स्विस बैंकों में भारतीयों का धन 2024 में तीन गुना बढ़कर 3.5 बिलियन स्विस फ्रैंक यानी करीब 37,600 करोड़ रुपये हो गया है। इस पर वित्त राज्य मंत्री ने जवाब में बताया कि स्विस नेशनल बैंक (SNB) के आंकड़े मीडिया रिपोर्ट्स में बताए गए हैं, लेकिन इन आंकड़ों में विदेशी शाखाओं की जमा राशि, देनदारियां और बैंकों को देय राशि शामिल होती है, इसलिए इन्हें भारतीयों की वास्तविक जमा राशि के संकेतक के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि स्विट्जरलैंड 2018 से ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इंफार्मेशन (AEOI) फ्रेमवर्क के तहत भारत को सालाना वित्तीय जानकारी दे रहा है। पहला डेटा ट्रांसमिशन सितंबर 2019 में हुआ था और यह अब तक लगातार जारी है। इसके अलावा भारत 100 से अधिक विदेशी कर क्षेत्राधिकारों से विदेशी संपत्तियों और आय के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।
टैक्स चोरी से जुड़े मामलों में सरकार द्वारा डायरेक्ट टैक्स कानूनों के तहत छापेमारी, पूछताछ, आय का आकलन, टैक्स और जुर्माना लगाने से लेकर अभियोजन तक की कार्रवाई की जाती है। 1 जुलाई 2015 से लागू हुए ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 (BMA) के तहत 1 जुलाई से 30 सितंबर 2015 के बीच तीन महीने की अनुपालन अवधि में ₹4,164 करोड़ की अघोषित संपत्ति से जुड़े 684 खुलासे किए गए, जिनसे ₹2,476 करोड़ टैक्स और जुर्माने के रूप में वसूले गए।
31 मार्च 2025 तक BMA के तहत कुल 1,021 असेसमेंट पूरे किए गए, 163 अभियोजन शिकायतें दर्ज हुईं और कुल ₹35,105 करोड़ की कर मांग की गई। हालांकि, टैक्स की अंतिम वसूली अपील प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही तय होती है। अब तक कर, जुर्माना और ब्याज के रूप में ₹338 करोड़ की वसूली की जा चुकी है। सरकार ने यह भी दोहराया कि टैक्स चोरी के मामलों में कठोर और उचित कार्रवाई की जाती है।