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‘छत्तीसगढ़ में गंवार बन गए ठेकेदार’, जल जीवन मिशन में इलेक्ट्रोक्लोरीनेटर सिस्टम पर विधानसभा में उठा सवाल

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही में पहला सवाल विधायक धरमलाल कौशिक ने पूछा. उन्होंने जल जीवन मिशन के अंतर्गत फर्मों, कंपनियों और संस्थाओं के इम्पैनलमेंट के बारे में सवाल पूछा. इसका जवाब डिप्टी सीएम और लोक निर्माण मंत्री अरुण साव ने दिया.

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जल जीवन मिशन में इलेक्ट्रोक्लोरीनेटर सिस्टम पर सवाल: अरुण साव ने बताया साल 2022 में इलेक्ट्रोक्लोरीनेटर सिस्टम के लिए 8 निर्माता ईकाइयों को इम्पैनलमेंट किया गया. इसमें शिकायत ये थी कि एसओआर में राशि काफी है लेकिन उसकी तुलना में कम कीमत के क्लोरीनेटर लगाए गए. जांच के बाद इम्पैनलमेंट निरस्त किया गया. बाद में अनुमोदन के बाद इलेक्ट्रोक्लोरीनेटर सिस्टम के 4 निर्माता इकाइयों को कार्यादेश दिया गया. साव ने आगे कहा- 6 एक्जूक्यिटव इंजीनयर को सस्पेंड किया है. 4 को निलंबित किया है. ठेकेदारों पर भी कार्रवाई प्रस्तावित है. 188 टेक्नीशियन की भर्ती की गई है.

अरुण साव के जवाब से असंतुष्ट धरमलाल कौशिक ने आगे कहा, 9 आरोपियों को सस्पेंड किया गया है लेकिन मंत्री जी से ये सवाल है कि इलेक्ट्रोक्लोरीनेटर खरीदने के लिए जो अनुबंध किया गया. जो बार बार बदला गया उसे आपने स्वीकार किया. सरकार के सूचीबद्ध करने के बाद निरस्त किया गया. ऐसे अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी. इस पर लोक निर्माण मंत्री ने जवाब दिया कि स्पेशिफिक इलेक्ट्रोक्लोरीनेटर नहीं पाए गए जिसके बाद कार्रवाई की गई.

धरमलाल कौशिक ने आगे पूछा कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत कई कंपनियों को राशि दी गई लेकिन बाद में उन कंपनियों को रिजेक्ट कर दिया गया इस पर क्या कार्रवाई की गई. साव ने कहा कि सामग्री की खरीदारी विभाग से सीधे भुगतान नहीं होता है. सामग्री का भुगतान ठेकेदार करता है. ये ठेकेदार को सुनिश्चित करना है कि एसओआर के मापदंड का पालन किया गया है या नहीं.

धरमजीत सिंह ने ठेकेदारों को कहा गंवार: इसी बीच विधायक धरमजीत सिंह ने कहा कि प्रदेश में जब जल जीवन मिशन लॉन्च हुआ था तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. करोड़ों रुपयों का लेनदेन हुआ. गंवार लोग ठेकेदार बनकर इस योजना से जुड़े. उनके कारण पूरा जलजीवन मिशन योजना बर्बाद हो रही है. 90 विधानसभा क्षेत्रों में योजना दम तोड़ रही है. इसलिए मंत्री जी से अनुरोध है कि इस पर बड़ी कार्रवाई करें.

विधायक और पूर्व सीएम ने जल जीवन मिशन की पूर्णता पर जवाब मांगा: विधायक संगीता सिन्हा ने भी जल जीवन मिशन को लेकर कहा कि इस मिशन के अंतर्गत कई ऐसे काम है जो अब भी अधूरे हैं. गुरुर ब्लॉक में अकक्लवार गांव मेरा है जहां जल जीवन मिशन का काम पूरा तक नहीं हुआ है. सिन्हा ने मंत्री अरुण साव से काम पूर्ण होने की परिभाषा पूछी. कई गांव ऐसे है जहां सिर्फ 15 दिन नल चले उसके बाद बंद कर दिया गया. अरुण साव ने कहा कि जल जीवन मिशन का काम पूरा करने सरकार पूरी तरह से काम कर रही है.

पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने भी एक बार मंत्री साय से पूर्णता की परिभाषा पूछी. उन्होंने कहा कि 2 गांव में नल जल योजना बंद है. इस पर भी जवाब मांगा. इस पर साय ने कहा प्रश्न बता दें इसका जवाब दे दिया जाएगा.

बस्तर संभाग में ब्रिज निर्माण पर सवाल: मानसून सत्र में विधायक कवासी लखमा ने बस्तर संभाग में सेतु विभाग की तरफ से पुल निर्माण को लेकर सवाल पूछा. इसका जवाब देते हुए अरुण साव ने कहा- साल 2020 से 2024 तक बस्तर संभाग में कुल 95 सेतु निर्माण कार्य स्वीकृत है जिसमें बस्तर में 7, दंतेवाड़ा में 3, बीजापुर में 9, सुकमा में 11, कोंडागांव में 19, नारायणपुर में 9 और कांकेर में 37 सेतु निर्माण कार्य स्वीकृत है. जिसकी लागत 768.98 करोड़ रुपये की लागत वाले हैं. मंत्री ने बताया 25 काम है एक काम जमीन की अनुउपलब्धता में निरस्त किया गया है. सुकमा में 11 सेतु निर्माण कराया जा रहा है. 3 पर काम चल रहा है. कवासी लखमा ने पूछा जो काम निरस्त किया गया है उसका नाम बताएं. इस पर साव कुछ देर तक पन्ने पलटते रहे. कुछ देर बाद साय ने कहा सुकमा के मलकानगिरी में पावारास नाला, शबरी रिवर जमीन की अनुउपलब्थता के कारण निरस्त हुआ है.

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