पाक के इन मुस्लिमों की कब्र तक खोद दे रहे कट्टरपंथी, हज पर जाना भी है बैन

पिछले साल लगभग इसी वक्त खबर आई थी कि पाकिस्तान की पुलिस ने धार्मिक कट्टरपंथियों के दबाव में अहमदिया मुसलमानों की 80 कब्रों को नष्ट कर दिया. अब एक साल बाद फिर से अहमदिया समुदाय के 40 कब्रों को तोड़ने की खबर आ रही है. इस बार भी ये घटना पंजाब प्रांत से ही सामने आई है जहां अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय की लगभग 40 कब्रों को इस्लामिक कट्टरपंथियों ने नुकसान पहुंचाया है. पुलिस ने सोमवार को इसकी जानकारी दी.

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जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (JAP) के एक अधिकारी ने बताया कि लाहौर से करीब 50 किलोमीटर दूर शेखूपुरा में अहमदियों को निशाना बनाकर उनके घरों के बाहर भी नफरत भरे शब्द लिखे गए और अपमानजनक चित्र बनाए गए हैं. माना जा रहा है कि कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के चरमपंथी तत्वों ने अहमदिया समुदाय के कब्रों के पत्थर तोड़ दिए.

पुलिस ने कहा कि वह अहमदिया समुदाय के कब्रिस्तानों को निशाना बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. हालांकि, जेएपी ने आरोप लगाया कि कट्टरपंथी जब कब्रों को तोड़ रहे थे, तब पुलिस का रवैया बेहद लापरवाह था, पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की.

अहमदिया को गैर-मुस्लिम मानता है पाकिस्तान

पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के साथ अत्याचार की खबरें आती रही हैं. वहां के इस्लामिक कट्टरपंथी समूह इस समुदाय के खिलाफ घृणा बढ़ाने का काम करते हैं जिससे वर्कप्लेस पर इनका उत्पीड़न बढ़ा है, इन्हें नौकरियां नहीं मिलती, अहमदिया दुकानदारों का सार्वजनिक रूप से बहिष्कार किया जा रहा है.

1974 में पाकिस्तान की संसद ने अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था. इसके एक दशक बाद, जिया-उल-हक के शासन के दौरान उन्हें खुद को मुसलमान कहने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. उन्हें हज के लिए सऊदी अरब के मक्का जाने से भी रोक दिया गया है. अहमदियों को अपने धर्म के प्रचार की भी मनाही है. अगर वो ऐसा करते हैं तो उन्हें 3 साल तक की जेल हो सकती है.

पाकिस्तान की लगभग 24 करोड़ आबादी में लगभग 1 करोड़ गैर मुस्लिम हैं. पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो की तरफ से 2021 में जारी आंकड़ों के अनुसार, यहां 96.47 प्रतिशत मुसलमान हैं, इसके बाद 2.14 प्रतिशत हिंदू, 1.27 प्रतिशत ईसाई, 0.09 प्रतिशत अहमदिया मुसलमान और 0.02 प्रतिशत अन्य अल्पसंख्यक हैं.

पाकिस्तान में अहमदियों के उत्पीड़न का लंबा इतिहास

1889 में अहमदिया समुदाय की स्थापना कादियान नाम के गांव में हुई थी. ये गांव अब भारत के पंजाब में है. अहमदिया मुसलमानों की मान्यता सुन्नी और शिया मुसलमानों से थोड़ी अलग है जिसे लेकर मुसलमान अहमदिया मुसलमानों को विधर्मी मानते हैं. बाकी मुसलमानों की तरह ही अहमदिया भी कुरान और पैगंबर को मानते हैं लेकिन ये समुदाय मुहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर नहीं मानता. इनका मानना है कि उनके गुरु यानी मिर्जा गुलाम अहमद मोहम्मद के बाद नबी हुए थे.

उनकी इसी मान्यता की वजह से बाकी मुसलमान इन्हें मुसलमान नहीं मानते. अहमदिया समुदाय की जान, संपत्ति और इबादत स्थलों पर हमले होते रहे हैं. पाकिस्तान में 2010 से अप्रैल 2022 तक इस समुदाय के लोगों की कब्र को नुकसान पहुंचाने की 28 घटनाएं हुईं.

हाल के सालों में ये घटनाएं बढ़ी हैं और 2021 के बाद से अहमदिया समुदाय के पूजा स्थलों पर लगभग 30 हमले हुए हैं. सोशल मीडिया पर कुरान की आयतें शेयर करने को लेकर भी अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं.

पाकिस्तान में अहमदी मुसलमानों के मरने के बाद उन्हें सही से कब्र तक नहीं नसीब होती. पिछले साल जनवरी के महीने में पंजाब प्रांत के दस्का में इस्लामिक कट्टरपंथियों के दबाव में अहमदिया मुसलमानों की 80 कब्रों को नष्ट कर दिया गया. यह काम खुद पुलिस ने किया था.

जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान ने कहा कि पंजाब सरकार ने कब्र की जमीन अहमदिया समुदाय को आवंटित की थी और पुलिस को यह बात पता थी, बावजूद इसके, समुदाय की कब्रों को नष्ट कर दिया गया.

अहमदिया मुसलमानों का हज पर जाना भी प्रतिबंधित है. पाकिस्तान की तरह ही सऊदी अरब भी उन्हें मुसलमान नहीं मानता. अगर कोई अहमदिया हज या उमराह के लिए सऊदी अरब चला जाए तो पकड़े जाने पर उसे हिरासत में लिया जा सकता है.

 

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