रायबरेली: जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने एक गरीब परिवार की मदद करके अपनी संवेदनशीलता और दरियादिली का परिचय दिया है. रायबरेली जनपद के डीह थाना क्षेत्र के निगोही गांव का रहने वाला 19 वर्षीय योगेश, एक गंभीर बीमारी से जूझ रहा था. उसका परिवार इतना गरीब है कि इलाज के लिए उन्होंने अपनी ज़मीन तक बेच दी थी, लेकिन फिर भी पैसों की कमी के कारण इलाज नहीं हो पा रहा था. योगेश की माँ, सुमन, अपने बेटे की हालत देखकर बहुत परेशान थी और उसकी जिंदगी बचाने के लिए हर दरवाजा खटखटा रही थी. योगेश के पिता, शिवप्रकाश, एक सिलाई का काम करने वाले व्यक्ति हैं, लेकिन पिछले चार महीनों से उनका काम भी बंद है.
परिवार में दो बेटे हैं- 22 वर्षीय राहुल और 19 वर्षीय योगेश. योगेश की बीमारी ने परिवार की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से खराब कर दी थी और वे बेटे को बचाने की उम्मीद छोड़ चुके थे. जैसे ही जिलाधिकारी हर्षिता माथुर को योगेश और उसके परिवार की दयनीय स्थिति के बारे में जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत कार्रवाई की. उन्होंने बिना समय गंवाए योगेश को रायबरेली के जिला अस्पताल से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराय. उनकी त्वरित पहल से योगेश का इलाज तुरंत शुरू हो सका.
यह घटना दर्शाती है कि समाज में अभी भी ऐसे लोग मौजूद हैं, जो दूसरों के दर्द को समझते हैं और उनकी मदद के लिए आगे आते हैं. जिलाधिकारी हर्षिता माथुर का यह कदम न केवल एक गरीब युवक की जान बचाने में सहायक हुआ है, बल्कि इसने यह भी साबित किया है कि अगर प्रशासनिक अधिकारी संवेदनशीलता के साथ काम करें तो बहुत से लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है. योगेश के परिवार और गांव के लोग, विशेषकर भगवान दीन यादव, ने जिलाधिकारी का आभार व्यक्त किया है. उनकी यह पहल समाज के लिए एक प्रेरणा है.