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इंदौर के DAVV में रैगिंग कांड: अनुशासन समिति ने Gen-Z आंदोलन की धारणा खारिज की

इंदौर के इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) में रैगिंग और हॉस्टल में तोड़फोड़ की घटना में नया मोड़ आया है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की अनुशासन समिति ने एंटी रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठाए हैं और छात्र आंदोलन के नेपाल के Gen-Z तर्ज पर होने के आरोप को पूरी तरह खारिज कर दिया।

बीते मंगलवार को बीटेक फाइनल ईयर के कुछ सीनियर छात्रों ने जूनियर्स को कैफे में बुलाकर धमकाया था। छात्रों से कहा गया कि वे फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाकर संस्थान के खिलाफ पोस्ट करें। इस घटना के बाद एंटी रैगिंग कमेटी ने जांच कर रिपोर्ट तैयार की और इसमें छात्रों पर Gen-Z जैसी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया। यह रिपोर्ट सीधे विश्वविद्यालय की उच्च प्रबंधन टीम और यूजीसी को भेजी गई, जिससे विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया।

कुलगुरु डॉ. राकेश सिंघई के निर्देश पर अनुशासन समिति ने करीब छह घंटे की जांच की। इस दौरान पंद्रह छात्रों को बुलाया गया, लेकिन समिति ने केवल दो छात्रों के बयान दर्ज किए। अन्य छात्रों से अलग-अलग तरीके से चर्चा की गई। जांच में कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले कि छात्रों ने Gen-Z जैसे आंदोलन में हिस्सा लिया। इसके अलावा, भंवरकुआं पुलिस थाने में भी नई शिकायत दर्ज की गई, जिसमें इस आंदोलन का जिक्र नहीं है।

अनुशासन समिति ने स्पष्ट किया कि हॉस्टल में हुई तोड़फोड़ और रैगिंग की घटनाएं हुई हैं, लेकिन Gen-Z आंदोलन जैसी कोई गतिविधि विश्वविद्यालय में नहीं हुई। समिति ने कहा कि तथ्य और प्रमाण न मिलने के कारण आरोप निराधार हैं।

छात्रों का गुस्सा भी फूटा है। उनका कहना है कि एंटी रैगिंग कमेटी ने कुछ छात्रों को दोषी ठहराया, जबकि प्रशासन पक्षपात कर उन्हें बचाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही कई छात्र बिना अनुमति के हॉस्टल में रह रहे हैं, जिसे प्रशासन नजरअंदाज कर रहा है।

अब विश्वविद्यालय और पुलिस की कार्रवाई पर सभी की निगाहें हैं। पुलिस ने छात्रों के मोबाइल और लैपटॉप भी जब्त कर मामले की जांच तेज कर दी है।

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