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राहुल गांधी ने किया असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल, संसद में दिए गए स्पीच से हटाए गए ये 4 शब्द

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी का संसद में दिया दूसरा भाषण भी विवादों में आ गया है. बजट पर चर्चा के दौरान सोमवार को लोकसभा में राहुल गांधी ने जो भाषण दिया था, उसके कुछ शब्दों को रिकॉर्ड से हटा दिया गया है.

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राहुल गांधी के दूसरे भाषण से जिन शब्दों को हटाया गया है, उनमें मोहन भागवत, अजित डोभाल, अंबानी और अडानी है. राहुल गांधी ने अपने 45 मिनट के भाषण में इन चारों का नाम लिया था, जिस पर स्पीकर ओम बिरला ने आपत्ति भी जताई थी.

क्या कहा था राहुल गांधी ने ?

नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी के दूसरे भाषण के केंद्र में ‘चक्रव्यूह’ रहा. राहुल गांधी ने महाभारत युद्ध की चक्रव्यूह संरचना का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें डर, हिंसा होती है और अभिमन्यु को फंसाकर छह लोगों ने मारा. उन्होंने चक्रव्यूह को पद्मव्यूह बताते हुए कहा कि ये एक उल्टे कमल की तरह होता है.

राहुल ने कहा था कि एक नया चक्रव्यूह तैयार हुआ है, वो भी लोटस की शेप में है, जिसको आजकल पीएम मोदी छाती पर लगाकर घूमते हैं. अभिमन्यु को 6 लोगों ने मारा था, जिनके नाम द्रोण, कर्ण, कृपाचार्य, कृतवर्मा, अश्वस्थामा और शकुनी थे. आज भी चक्रव्यूह के बीच में 6 लोग हैं. चक्रव्यूह के बिल्कुल सेंटर में, 6 लोग कंट्रोल करते हैं, जैसे उस टाइम 6 लोग कंट्रोल करते थे, वैसे आज भी 6 लोग कंट्रोल कर रहे हैं.

राहुल गांधी के इस बयान पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला उन्हें टोकते हुए याद दिलाते हैं कि जो शख्स इस सदन का सदस्य नहीं है, उसका नाम न लिया जाए. इस पर राहुल गांधी ने कहा कि अगर वो चाहते हैं कि वो अजित डोभाल, अडानी और अंबानी का नाम न लें तो वो नहीं लेंगे.

उन्होंने आरोप लगाया कि देश की जनता को मोदी सरकार ने चक्रव्यूह में फंसा दिया है, इसमें किसान और युवा सबसे ज्यादा पीड़ित हैं.

राहुल गांधी ने एक जुलाई को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर संसद में पहला भाषण दिया था. तब उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान भाषण दिया था. पहले भाषण में राहुल ने संविधान की कॉपी और भगवान शिव की तस्वीर दिखाकर अपनी बात रखी थी. उनके पहले भाषण के एक बड़े हिस्से को संसदीय रिकॉर्ड से हटा दिया गया था.

भाषण के अंश हटाने के बाद राहुल गांधी ने नाराजगी जाहिर करते हुए लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी भी लिखी थी. राहुल गांधी ने चिट्ठी में लिखा था कि मैं यह देखकर स्तब्ध हूं कि किस तरह मेरे भाषण के एक बड़े हिस्से को कार्यवाही से निकाल दिया गया और उसे अंश हटाने की आड़ में हटा दिया गया. राहुल ने ये भी दावा किया था कि हटाए गए अंश नियम 380 के दायरे में नहीं आते.

किस नियम के तहत हटाए जाते हैं शब्द?

लोकसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों के नियम 380 (निष्कासन) में कहा गया है कि अगर अध्यक्ष की राय है कि वाद-विवाद में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया है जो अपमानजनक या अशिष्ट या असंसदीय या अशोभनीय हैं, तो अध्यक्ष अपने विवेक का प्रयोग करते हुए आदेश दे सकते हैं कि ऐसे शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाए.

ऐसा नहीं है कि बोलने की आजादी के साथ सांसद कुछ भी कह सकने के लिए आजाद हैं. कोई भी शब्द या टर्म ऐसा न हो जो संसद की गरिमा को भंग करता हो. यही हवाला देते हुए सदन की कार्यवाही के दौरान कई बार सांसदों के भाषणों से कुछ शब्द, वाक्य या बड़े हिस्से भी हटाए जाते रहे. इस प्रोसेस को एक्सपंक्शन कहते हैं. लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 380 के तहत ऐसा किया जाता रहा.

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