कटनी : जिले की रीठी तहसील के ग्राम चिरूहला में वन विभाग की कार्रवाई के खिलाफ किसानों का गुस्सा सड़कों से खेतों तक पहुंच गया.आरोप है कि विभाग ने बिना किसी पूर्व सूचना के बारिश के मौसम में खेतों में लगी फसल पर जेसीबी चलवा दी और भूमि पर जबरन कब्जा कर लिया.इससे लगभग 20 एकड़ की फसल बर्बाद हो गई,जिसकी कीमत लाखों रुपये बताई जा रही है.
प्रभावित किसान कीचड़ भरे खेतों में उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। महिलाओं और बच्चों सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण इस विरोध में शामिल हुए.किसानों का कहना है कि वे बीते दिन वन विभाग द्वारा उनके खाते को जेसीबी की मदद से तबाह कर दिया गया था तब से ही वह बारिश में भीगते हुए खेतों में डटे हुए हैं, लेकिन अब तक न तो प्रशासनिक अमला पहुंचा है और न ही कोई समाधान मिला है.
वही कल वन विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान वन अमला और किसानों के बीच हुई झड़प का भी वीडियो सामने आया है जिसमें वन अमला किसानों और महिलाओं को खेतो से दूर करते ओर बहस करते दिखाई दे रहे है.- तबाह हुए खेत के कीचड़ में खड़े हो प्रदर्शन कर रहे किसानों का आरोप है कि वन विभाग ने उनके पूर्वजों के समय से काबिज खेतों को उनकी जानकारी और सहमति के बिना रौंद डाला.
जेसीबी से खेतों की तबाही के वीडियो भी सामने आए हैं, वही वन विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान वन अमला और किसानों के बीच हुई झड़प का भी वीडियो सामने आया है जिसमें वन अमला किसानों और महिलाओं को खेतो से दूर करते और बहस करते दिखाई दे रहे है.जो विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं.
वही प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगे है कि तत्काल फसल नुकसान का मुआवजा मिलना चाहिए और जिस जमीन को वन विभाग ने हथिया लिया है उस जमीनों का वैध पट्टा मिलना चाहिए जिसमें वह वर्षों से खेती करते आ रहे है.वही इस कार्रवाई के दौरान जो भी दोषी है उसपर सख्त कार्रवाई किए जाए।आक्रोशित किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे खेत में ही आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने को मजबूर होंगे.
वन विभाग के डीएफओ गौरव शर्मा ने इस मामले में बताया कि शासन के निर्देश पर वन भूमि से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है.फिलहाल केवल नोटिस देकर स्थिति की जानकारी ली जा रही है.इसके बाद एक सूची तैयार कर कलेक्टर के निर्देश में जांच कराई जाएगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि बारिश के मौसम में किसी की जमीन नहीं ली जाएगी और पहले उचित जांच की जाएगी.वही जब वन विभाग द्वारा वर्तमान में की गई कार्रवाई में साफ देखा जा सकता की किस तरह वन अपना किसानों की फसल बर्बाद कर जमीन हासिल की है.
..मामला लगातार गरमाता जा रहा है, लेकिन प्रशासन की खामोशी ने किसानों की पीड़ा और आक्रोश को और गहरा कर दिया है.अब सवाल यह है कि क्या शासन किसानों की उम्मीदों को जेसीबी के पंजों से बचा पाएगा?