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1000 दिन बाद तीन लाश का अंतिम संस्कार, कोरोना काल में मौत के बाद भूल गया था प्रशासन, एक की हड्डी रखी गई सुरक्षित

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के मेकाहारा में 2020-21 के कोविड काल से लावारिस पड़ी लाशों का गुरुवार को अंतिम संस्कार किया गया. करीब एक हजार से ज्यादा दिनों के इंतजार के बाद प्रशासन ने देवेंद्र नगर स्थित मुक्ति-धाम में इन्हें अंतिम विदाई दे दी.

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इन लाशों में से दो के परिजनों का प्रशासन ने पता तो लगवा लिया, लेकिन अब उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया. परिजन ने अंतिम संस्कार करने में असमर्थता जताई वहीं एक अन्य के परिजनों का कुछ भी पता नहीं चल पाया. इस वजह से उसकी एक बोन सुरक्षित रखी गई है.

इन तीनों मृतकों की पहचान दुकलहीन बाई, जवार सिंह और पंकज कुमार के रूप में हुई थी. इनमें से जवार सिंह और पंकज कुमार ने 2020 के कोविड के दौर में दम तोड़ा था. तो वहीं दुकलहीन बाई की 21 मई 2021 में मौत हुई जिसके बाद से उसकी लाश मेकाहारा में थी.

इन सबके के लिए अस्पताल मैनेजमेंट ने SDM रायपुर को अंतिम संस्कार के लिए पत्र लिखा था, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया. इसके बाद पूरा सिस्टम इन तीनों की लाशों को एक किनारे स्ट्रैचर में लिटाकर भूल गया.

अब तीन सालों बाद गुरुवार को प्रशासन ने शाम 4 बजे का वक्त तय किया. तीनों लाशों को एम्बुलेंस में मेकाहारा मर्चुरी से देवेंद्र नगर मुक्तिधाम लाया गया. यहां पर प्रशासन की देख रेख में उन्हें अर्थी में लिटाया गया, फिर हिंदू रिवाजों में अंतिम संस्कार किया गया. जलती हुई लाशों ने अपनी इस अंतिम मुक्ति के लिए 1000 से ज्यादा दिनों तक इंतजार किया.

कोरोना काल में इलाज के दौरान दम तोड़ने के बाद किसी ने भी इन मृतकों का रिकॉर्ड ही संभाल कर नहीं रखा. जिन अस्पतालों में इनका इलाज हो रहा था उन्होंने भी कभी इसकी पूरी जानकारी नहीं दी. इस लापरवाही की जांच के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर सात डॉक्टरों की एक जांच समिति बनाई गई थी. इस कमेटी ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी थी.

जांच कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी उसमें एक व्यक्ति पंकज कुमार के परिजनों का पता नहीं चल पाया है. इस वजह से उसके शरीर की एक फीमर बोन को सुरक्षित रखने कहा गया है. जिससे भविष्य में उसके परिजनों के सामने आने के बाद DNA जांच हो सके.

मृतक जवार सिंह शहडोल (MP) का रहने वाला था. वह तंबू लगाकर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में आयुर्वेदिक दवाइयां बेचता था. पुलिसवालों ने जब इनके घरवालों से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उन्हें कोरोना काल के समय ही जवार सिंह के नाम से एक शव दिया गया था. जिसका उन्होंने अंतिम संस्कार कर दिया है. अब इस शव का अंतिम संस्कार करने के लिए उन्होंने रायपुर आने से मना कर दिया.

एक अन्य लाश दुकलहीन बाई बलौदाबाजार की रहने वाली थी, उसकी भी कमोबेश वैसी ही कहानी है. घरवालों का कहना है कि उन्होंने भी अंतिम संस्कार कर दिया है. तीसरी लाश पंकज की पहचान नहीं हो पाई। उनका कोई रिकॉर्ड भी अस्पताल में नहीं मिला है. कोई पता और मोबाइल नंबर नहीं होने की वजह से उनके परिवार वाले भी नहीं मिले.

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