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रायपुर में ‘फेक‑अकाउंट होल्डर‑APK’ साइबर ठगी का मामला, कारोबारी सुबोध सिंघानिया के नाम पर बैंक‑अफसर फंसे

रायपुर के जाने-माने बिल्डर सुबोध सिंघानिया के नाम पर साइबर ठगों ने 8 लाख 70 हजार रुपए की ठगी की है। आरोपियों ने खुद को सिंघानिया बताकर पहले बैंक मैनेजर और असिस्टेंट मैनेजर से फोन पर संपर्क किया। फिर वॉट्सऐप ग्रुप में सुबोध सिंघानिया का लेटरहेड भेजा और रकम को कोलकाता स्थित एक निजी खाते में ट्रांसफर करवाया।

ठगों ने यह राशि ‘फेक अकाउंट होल्डर – APK’ के माध्यम से मंगवाई। ठगी का पता चलते ही बैंक की असिस्टेंट मैनेजर ने कारोबारी की ओर से थाने में शिकायत दर्ज करवाई, जिस पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों में 791 करोड़ रुपए की साइबर ठगी के मामले दर्ज हो चुके हैं। यह आंकड़े पिछले विधानसभा सत्र में पेश किए गए थे।

जानकारी देने से पहले अनुमति मांगता है

जब यूजर एप इंस्टॉल करता है, तो यह फोन से संवेदनशील जानकारी जैसे SMS, कॉन्टैक्ट्स, बैंकिंग एप्स, पासवर्ड और OTP एक्सेस करने की अनुमति मांगता है। एक बार जब ठगों को ये जानकारी मिल जाती है, वे मोबाइल बैंकिंग या UPI के जरिए खाते से पैसे निकाल लेते हैं।

कैसे पहचानें कि आपका डेटा कलेक्ट हो रहा है?

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इसे पहचानने का कोई एक तय तरीका नहीं है, लेकिन कुछ संकेत आपके फोन में बता सकते हैं कि आपका डेटा शायद कलेक्ट किया जा रहा है।

साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू के अनुसार, अगर आपके मोबाइल का डेटा चोरी किया जा रहा है, तो डेटा यूसेज अचानक बढ़ सकता है। कई ऐप्स आपका डेटा कलेक्ट करने के बाद इसे थर्ड-पार्टी सर्वर पर भेज देती हैं। जब यह प्रक्रिया होती है, तो आपका डेटा जल्दी खत्म होने लगता है।

साथ ही, अगर फोन की बैटरी जल्दी खत्म होने लगे, फोन अक्सर गर्म हो और ऐप्स असामान्य तरीके से काम करें, तो यह भी एक चेतावनी हो सकती है कि आपका डेटा कलेक्ट हो रहा है।

अक्सर स्कैमर्स फर्जी या एडिटेड ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड दिखाकर आपको धोखा देते हैं। इसलिए अगर कभी भी ऐसी कोई विड्रॉल या रिफंड रिक्वेस्ट मिले, तो सावधान हो जाएं और इसे कभी स्वीकार न करें।

6 सालों में साइबर ठगी की घटनाएं 42 गुना बढ़ गई

भारत में साल 2023 में 9.2 लाख से अधिक साइबर अपराध संबंधी शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें लगभग 6,000 करोड़ की आर्थिक हानि हुई।

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह वर्षों में साइबर ठगी की घटनाएं 42 गुना बढ़ गई हैं। यह केवल तकनीकी समस्या नहीं रह गई, बल्कि आर्थिक और कानूनी चुनौती भी बन गई है।

ठगी से प्राप्त धन को धोखाधड़ी और अन्य अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल करने के लिए मनी म्यूल, क्रिप्टोकरेंसी और हवाला नेटवर्क का सहारा लिया जा रहा है। इसके मुकाबले सरकारें साइबर सुरक्षा पर अरबों रुपए खर्च कर रही हैं।

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (ICCC) ने 2025 के लिए अनुमान लगाया है कि भारतीयों को साइबर ठगी के माध्यम से 1.2 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान होने की आशंका है। यह राशि बिहार राज्य के वार्षिक बजट के लगभग आधे के बराबर है।

विशेषज्ञों का कहना है कि आम जनता को डिजिटल लेनदेन करते समय ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। केवल भरोसेमंद और लाइसेंस प्राप्त प्लेटफॉर्म पर ही ऑनलाइन पेमेंट और बैंकिंग करना सुरक्षित है।

छत्तीसगढ़ में 791 करोड़ रुपए की ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायतें

विधानसभा के पिछले सत्र में यह आंकड़े पेश किए गए थे। छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों में 791 करोड़ की साइबर ठगी के मामले सामने आए हैं, डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने विधायकों के सवालों पर विधानसभा में बताया था, कि राज्य के 67,389 लोगों ने 2023 से जून 2025 तक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर 791 करोड़ रुपए की ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज कराई हैं।

उन्होंने बताया कि इनमें से 21,195 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है और 1,820 पीड़ितों का पैसा वसूल कर उन्हें वापस कर दिया गया है।

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