रायपुर मोजो मशरूम-फैक्ट्री केस…4 ठेकेदारों के खिलाफ FIR:नाबालिगों को पीट-पीटकर 18 घंटे उगवाए थे मशरूम; UP-बिहार-झारखंड के 97 मजदूरों हुए थे रेस्क्यू

रायपुर के मोजो मशरूम फैक्ट्री केस में पुलिस ने 4 ठेकेदारों के खिलाफ FIR दर्ज किया है। आरोप है कि इन्होंने काम के बहाने नाबालिगों को अलग-अलग राज्यों से रायपुर लेकर आए। फिर यहां बंधक बनाकर मारपीट की और 18-18 घंटे तक मशरूम उगाने का काम करवाया।

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बता दें कि 11 जुलाई को महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने अन्य विभागों के साथ मिलकर 97 मजदूरों पर रेस्क्यू करवाया था। यह सभी मजदूर उत्तर प्रदेश बिहार और झारखंड के रहने वाले थे।

इनमें महिलाएं पुरुष और 10 दिन का एक बच्चा भी शामिल था। इस मामले में खरोरा पुलिस ने महिला एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट मिलने के बाद SSP डॉ लाल उमेद सिंह के निर्देश के बाद FIR दर्ज कर लिया हैं।

इन 4 ठेकेदारों को बनाया गया हैं आरोपी

FIR के मुताबिक, मजदूरों के बयान के आधार पर भोला नाम के ठेकेदार को आरोपी बनाया गया है। भोला मजदूरों को उत्तर प्रदेश से काम के बहाने रायपुर लाया था। उनसे वादा किया गया था कि 14-15 हजार वेतन दिया जाएगा। लेकिन उन्हें वेतन नहीं मिला। हालांकि कुछ पैसे एडवांस दिए गए थे।

इसके अलावा नाबालिगों ने जांच के दौरान दिए अपने बयान में कहा था कि मोजो मशरूम फैक्ट्री (मारुति फ्रेश) में विपिन तिवारी, विकास तिवारी और नितेश तिवारी ने जबरदस्ती काम करवाया और तीनों ठेकेदारों ने मारपीट भी की।

बयान में ये भी सामने आया है कि मजदूरों को रात 2 बजे उठाया जाता था। फिर उनसे करीब 18 घंटे काम लिया जाता था। वह केवल तीन से चार घंटे नींद ले पाते थे।

आरोपियों के खिलाफ इन धाराओं में एक्शन

पुलिस में इस मामले में जो शिकायत दर्ज की हैं। उसमें अलग-अलग धारा जोड़ी गई हैं। जिसमें बाल श्रम निषेध विनियम एक्ट, भारतीय न्याय संहिता की अल-अलग धारा, बंधवा मजदूरी, जोखिम भरे कार्य करवाना और जबरन बंधक बनाकर रखना शामिल हैं। हालांकि इस मामले में मोजो मशरूम फैक्ट्री के मालिक को आरोपी नहीं बनाया गया हैं।

पैकिंग के काम के बहाने लाया था ठेकेदार

एक मजदूर वीरेंदर ने बताया कि करीब 5 महीने पहले भोला नाम के ठेकेदार उन्हें जौनपुर उत्तरप्रदेश से लेकर आया। कहा गया कि बैठे-बैठे मशरूम पैकिंग का काम करना है। 10 हजार रुपए महीने के मिलेंगे।

जब वह इस फैक्ट्री में पहुंचे तो उन्हें मशरूम काटने और बोझा ढोने का काम करवाया गया। उन्हें 16 से 18 घंटे काम करवाया गया। बीच में अगर मजदूर सोने चले जाते तो उन्हें ठेकेदार मारपीट कर नींद से उठाता था। मजदूरों को कमरे में बंद करके रखा जाता था। जिससे कि भाग न पाए।

कच्चा खाना खिलाते थे फैक्ट्री मालिक

मजदूरों ने बताया कि उन्हें शाम 4 बजे भोजन दिया जाता था। खाने में चावल और दाल होता था। लेकिन वह कच्चा होता था। उसे ठीक से पकाया नहीं जाता था। जब मजदूर विरोध करते तो उन्हें डरा धमकाकर चुप करा दिया जाता था।

उन्हें बाहर निकल कर कोई भी चीज खाने की इजाजत नहीं थी। फैक्ट्री का दरवाजा हमेशा बंद रहता था। मजदूर जब लंबे समय तक प्रताड़ित हो गए। तब इनमें से कुछ लोग चुपचाप रात को निकलकर भागे और बाहरी लोगों से मदद मांगी।

रात को निकलकर भागे तब हुआ खुलासा

इस मामले का खुलासा जब हुआ जब कुछ मजदूरों ने फैक्ट्री मालिकों की प्रताड़ना और अत्याचार से तंग आकर 2 जुलाई को रात के अंधेरे में फैक्ट्री से भाग निकले। फैक्ट्री शहर के आउटर इलाके में है।

वे लगभग 15–20 किलोमीटर तक पैदल चलकर रायपुर पहुंचे। वहां वे भाठागांव बस स्टैंड पर पहुंचे, जहां कुछ स्थानीय लोगों ने उनकी हालत देखकर मदद की और उन्हें पुलिस तक पहुंचाया।

मोबाइल और आधार कार्ड भी छीन लिए गए

मजदूरों ने बताया कि उनके साथ फैक्ट्री मालिक जानवरों से बर्ताव करते थे। उन्हें हर दिन 18 घंटे तक काम करना पड़ता था, लेकिन मालिक उन्हें एक रुपया भी नहीं देता था। इतना ही नहीं, उन्होंने हमारे मोबाइल फोन और आधार कार्ड भी छीन लिए थे ताकि वे किसी से संपर्क न कर सकें और फैक्ट्री से बाहर न जा सकें।

एक मजदूर पर ब्लेड से भी किया हमला

मजदूरों ने पुलिस को दी शिकायत में एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि नितेश तिवारी ने एक मजदूर के पैर की उंगली पर ब्लेड से हमला कर दिया था, जिसके बाद उसे चलने-फिरने में काफी दिक्कत हो रही थी।

इसके अलावा मजदूरों का कहना है कि उन्हें फाइबर के पाइप और लातों से मारा गया। वह बार-बार घर जाने की बात करते थे तो दो-तीन महीना और काम करो बोलकर धमका दिया जाता था

10 दिन का बच्चा भी बना रहा बंधक

शमशेर नाम के मजदूर ने बताया कि फैक्ट्री के सुपरवाइजर और मालिक भी बच्चे और महिलाओं से भी बुरा बर्ताव करते थे। छोटे-छोटे बच्चों को भी पीटा गया। इनमें से एक के पिता ने बच्चे के शरीर में चोट के निशान भी दिखाएं।

इसके अलावा इस बंधक मजदूरों में एक 10 दिन का बच्चा भी था। जिसकी मां ने रायपुर में ही बच्चे को जन्म दिया था। वह भी बच्चे के साथ बंधकों में शामिल थी।

महिला-बाल विकास विभाग ने 97 मजदूरों को छुड़ाया

महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी शैल ठाकुर ने बताया कि हमें दूसरे राज्य के लोगों को बंधक बनाकर जबरन मजदूरी कराने की शिकायत मिली थी। जिसके बाद विभाग ने फैक्ट्री में रेड मारा। मौके से 97 मजदूर रेस्क्यू किए गए। मजदूरों के बयान लिए गये थे।

मारुति फ्रेश नाम की फैक्ट्री, पता पिकरीडीह गांव

मजदूरों ने अपने पास मशरूम पैकिंग की एक पॉलिथीन भी रखी थी। जिसमें मशरूम फैक्ट्री का नाम मारुति फ्रेश लिखा हुआ हैं। इस फैक्ट्री के पते में पिकरीडीह गांव उमाश्री राइस मिल के पास खरोरा लिखा हुआ है।

मामले को दबाने टिकट कराई

इस मामले में फैक्ट्री से जुड़ा एक शख्स मजदूरों का रेस्क्यू होने के बाद मामले को रफा दफा करने के लिए पहुंचा था। वह मजदूरों को पैसे बांट रहा था, जिससे की मामला दबाया जा सके। इसके अलावा व्यक्ति ने मजदूरों के वापसी के लिए फौरन ट्रेन की टिकट भी कटवा दी। जिससे कि मजदूर रायपुर छोड़कर वापस अपने गांव चले जाएं।

 

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