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राजस्थान: देश का पहला बिना पिलर का 11 मंजिला जैन मंदिर, 550 एकड़ का कैंपस, 720 प्रतिमाएं होंगी स्थापित

देश का पहला जैन मंदिर, जिसमें बिना पिलर का गुफा मंदिर भी होगा. पहाड़ी की तलहटी में स्थित डोम के आकार का गुफा मंदिर 90 फीट चौड़ा और 135 फीट लंबा है. इसे बनाने में लाल पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. करीब 550 एकड़ के कैंपस में जैन धर्म से जुड़े तमाम मंदिर और प्रतिमाएं हैं.

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नारेली तीर्थ क्षेत्र कमेटी के कोषाध्यक्ष मिश्रीलाल जैन ने बताया कि 150 मीटर ऊंची पहाड़ी की तलहटी में बना यह बहुउद्देशीय क्षेत्र करीब 550 भूमि पर फैला है. ज्ञानसागर महाराज की समाधि नसीराबाद (अजमेर) में है. संत शिरोमणी पूज्य आचार्य 108 विद्यासागरजी की दीक्षा स्थली भी अजमेर ही है. दोनों महान आदर्श संतों की यशोगाथा को चिर स्थायी बनाने के लिए ‘ज्ञानोदय तीर्थ’ बनाया गया.

इसी कैंपस में 11 मंजिला मंदिर भी बन रहा है. इसका काम भी लगभग पूरा हो चुका है. यहां भगवान आदिनाथ से महावीर स्वामी तक 24 तीर्थंकरों की 3-3 प्रतिमाएं विराजेंगी. हर मंजिल पर 72 और 10 मंजिलों में चारों ओर 720 प्रतिमाएं तीर्थंकरों की लगेंगी. गौशाला, स्कूल, हॉस्पिटल के अलावा भक्तों के ठहरने के लिए धर्मशाला को भी बनाया गया है.

साल 1997 में सुधासागरजी महाराज का प्रथम चातुर्मास भी इसी क्षेत्र पर हुआ था. इस साल कई योजनाएं शुरू की गईं और विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास किया गया.

नारेली तीर्थ में एंट्री पर लाल पत्थरों से बना सिंहद्वार है. इसकी ऊंचाई 51 फीट है. इसके दोनों तरफ सुरक्षाकर्मियों के लिए 2 मंजिले कमरे बने हैं. इस द्वार से क्षेत्र के प्रमुख मंदिर आदिनाथ जिनालय में स्थापित विशाल और भव्य मनोहारी आदिनाथ की प्रतिमा के दर्शन होते हैं. इसका उद्घाटन 16 सितम्बर, 2000 को आर. के.मार्बल परिवार किशनगढ़ ने किया.

पहाड़ी की तलहटी में अक्षरधाम की तर्ज पर आदिनाथ जिनालय बना है. मंदिर भव्य और कलात्मक है. फव्वारे, गार्डन, धर्म आधारित कलाकृतियां आदि इसकी सुंदरता को बढ़ाती हैं. इसमें भूतल पर वृत्ताकार आकृति में ‘ज्ञानसागर सभागार’ है. इसके चारों तरफ दरवाजे हैं. यह खुला-खुला और हवादार है. बीच में शानदार स्टेज है.

दूसरी मंजिल पर विशाल जिनालय है. हॉलनुमा इस मंदिर में लाल पत्थर से बनी विशालकाय मूर्ति स्थापित है. लाल पत्थरों के कमलासन पर मूर्ति पद्मासन में विराजमान है. प्रतिमा एक ही पत्थर से बनी है, जिसकी ऊंचाई 21 फीट और वजन करीब 40 मीट्रिक टन है. इस मंदिर का शिलान्यास सुधासागरजी महाराज के सानिध्य में 11 अगस्त, 1997 को आरके मार्बल परिवार ने किया था.

यहां सुधार सागर पब्लिक स्कूल भी बनाया गया है, जिसका भवन तैयार हो चुका है. स्कूल में 40 कमरों को बनाया गया हैं. मान्यता को लेकर कार्रवाई चल रही है. बच्चों के लिए 35 कमरों के हॉस्टल की भी व्यवस्था है.

ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र नारेली में 55 फीट के 2 कीर्ति स्तंभ भी हैं. इनमें एक आचार्य ज्ञान सागर महाराज का समाधि और आचार्य विद्या सागर महाराज को कीर्ति स्तंभ बना हुआ है. दो कीर्ति स्तंभ प्रवेश करते ही नजर आते हैं, जो कि तीर्थकर वन में है.

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