डीडवाना-कुचामन : जिले के परबतसर उपखंड के गांव बासेड़ निवासी धर्मवीर बुगालिया ने अपनी मेहनत, लगन और संघर्ष के बल पर वो कर दिखाया, जो कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले धर्मवीर का चयन हाल ही में राजस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर (भौतिक विज्ञान) के पद पर हुआ है, और उन्होंने आल राजस्थान में तीसरी रैंक प्राप्त की है. इस उपलब्धि के बाद न सिर्फ उनके गांव बासेड़ बल्कि पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है.
जीवन में आए कई संघर्ष, फिर भी नहीं टूटी हिम्मत
धर्मवीर बुगालिया के जीवन में बचपन से ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके पिता स्वर्गीय घनश्याम बुगालिया का निधन वर्ष 2007 में हो गया था, जब धर्मवीर बहुत छोटे थे। जीवन की एक और बड़ी चोट उन्हें वर्ष 2023 में तब लगी जब उनकी माता का भी देहांत हो गया। माता-पिता दोनों को खो देने के बावजूद धर्मवीर ने हार नहीं मानी, बल्कि अपने लक्ष्य की ओर और अधिक मजबूती से बढ़ते गए.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
पढ़ाई में हमेशा अव्वल, 10वीं और 12वीं में बनाई मेरिट
धर्मवीर की पढ़ाई में रूचि और मेहनत शुरू से ही देखने को मिली। उनके बड़े भाई हरिराम भड़सिया ने बताया कि धर्मवीर ने 10वीं और 12वीं दोनों ही कक्षाओं में मेरिट में स्थान प्राप्त किया था। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी कभी पढ़ाई से समझौता नहीं किया.
बड़े पिताजी बने संबल, दिया साथ और हौसला
धर्मवीर की इस सफलता के पीछे उनके बड़े पिताजी दुर्गाराम बुगालिया का विशेष योगदान रहा। माता-पिता के निधन के बाद दुर्गाराम जी ने ही धर्मवीर को पिता का प्यार, मार्गदर्शन और संबल दिया। हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे। धर्मवीर ने भी यह बात खुलकर मानी कि आज जो कुछ भी हैं, उसमें बड़े पिताजी दुर्गाराम जी का संघर्ष, दुआएं और समर्थन सबसे अहम रहा.
दुर्गाराम बुगालिया ने भावुक होकर कहा –
“आज गर्व से सिर ऊँचा हो गया है, धर्मवीर की मेहनत और लगन ने पूरे परिवार को 18 साल बाद सच्ची खुशी दी है.”
परिवार और गांव में जश्न का माहौल
धर्मवीर की सफलता की खबर मिलते ही गांव बासेड़ में खुशी की लहर दौड़ गई. ग्रामीणों ने मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इज़हार किया.धर्मवीर की इस उपलब्धि को हर कोई एक प्रेरणास्रोत के रूप में देख रहा है.
धर्मवीर की कहानी हर उस युवा के लिए मिसाल है जो कठिनाइयों से घबराता है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर संकल्प मजबूत हो और मार्गदर्शक सच्चे हों, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं.