राज्य सरकार ने प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया है। सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देकर चुनाव करवा पाना असंभव बताया।
सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिश का हवाला देते हुए कहा- सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए। फिलहाल यह भी संभव नहीं दिख रहा है।
जवाब में 9 यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की सिफारिश भी शामिल की गई है। इसमें कुलगुरुओं ने शैक्षणिक सत्र, कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने की राय दी है। सरकार के जवाब के बाद 14 अगस्त को मामले में हाईकोर्ट सुनवाई करेगा।
हम पुरजोर तरीके से अपनी बात कोर्ट में रखेंगे याचिकाकर्ता के एडवोकेट शांतनु पारीक ने कहा- सरकार ने कुलगुरुओं की सिफारिश पर चुनाव नहीं कराने का फैसला किया है। लेकिन हमारा कहना है कि यूनिवर्सिटी में शिक्षकों के भी चुनाव होते है, कर्मचारी संघों के भी चुनाव होते हैं।
यूनिवर्सिटी प्रशासन नहीं चाहता है कि छात्र अपनी आवाज उठा सके और अपने मुद्दे प्रभावी रूप से रख सके। हम पुरजोर तरीके से अपनी बात कोर्ट में रखेंगे।
किस यूनिवर्सिटी के कुलगुरु ने सिफारिश में क्या कहा, जानिए…
चुनाव में भय का माहौल रहता है राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने अपनी सिफारिश में कहा- साल 2023-24 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण ही छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए। चुनाव में छात्रों का वोटर टर्नआउट भी 25 से 30 प्रतिशत से भी कम होता है। चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है। इससे कारण राज्य के विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित हो जाते हैं।
छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उपयुक्त महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपनी सिफारिश में कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। शैक्षणिक माहौल के लिए सभी विश्वविद्यालयों के लिए अम्ब्रेला नीति विकसित करनी होगी।
उन्होंने कहा- यूपी में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट बनाया गया था। इसी तर्ज पर राजस्थान में भी बनाया जाना चाहिए। शिक्षा नीति सही तरीके से लागू करने के लिए गंभीरता से काम होना चाहिए और तब तक छात्र संघ चुनाव को स्थगित रखना ही उपयुक्त है।
तीन-चार साल चुनाव स्थगित रहने चाहिए महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर के कार्यवाहक कुलगुरु प्रोफेसर त्रिभुवन शर्मा ने अपनी सिफारिश में कहा- विश्वविद्यालय में सत्र विलंब से चल रहा है। परीक्षा परिणाम आना बाकी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन का कार्य चल रहा है। इसलिए तीन-चार साल के लिए छात्र संघ चुनाव स्थगित रहने चाहिए।
शिक्षा सर्वोपरि, लाखों पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का सवाल मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने अपनी सिफारिश में कहा- साल 2022-23 में चुनाव करवाए गए। उसके बाद विश्वविद्यालय में गंदगी, पंपलेट, पोस्टर और तोड़फोड़ इत्यादि को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया। 3-3 महीने में सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम घोषित करना जरूरी होता है।
चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 25 प्रतिशत ही लागू हो पाई है। कोई भी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं है। चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है।
चुनाव से 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलगुरु प्रोफेसर अजय शर्मा ने कहा- यदि चुनाव होते हैं तो लगभग 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा। इसलिए इन परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है।
चुनावों में तोड़फोड़-प्रदर्शन आम बात पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के कुलगुरु प्रोफेसर अनिल रॉय ने अपनी सिफारिश में कहा- अभी छात्रसंघ चुनाव करवाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समयबद्ध रूप से लागू करने के कारण संभव नहीं है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह समिति की सिफारिश की पूर्ण पालन होनी चाहिए।
चुनाव से सेमेस्टर प्रणाली अव्यवस्थित हो जाएगी गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा के कुलगुरु प्रोफेसर के एस ठाकुर ने कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अगले 2 साल महत्वपूर्ण रहेंगे। इसके पूर्ण के क्रियान्वयन के लिए 5 वर्ष आवश्यक है। सेमेस्टर प्रणाली में 3 महीने का टीचिंग पीरियड जरूरी है। दिसंबर और मई महीने में सेमेस्टर परीक्षाएं करवानी होगी। छात्रसंघ चुनाव होने से सेमेस्टर प्रणाली अव्यवस्थित हो जाएगी।
चुनाव होते हैं तो स्थिति विपरीत हो जाएगी महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा- अभी वार्षिक परीक्षा पद्धति वाले और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तरह सेमेस्टर सिस्टम के कोर्सेज चल रहे हैं। इनके परीक्षा परिणाम नहीं आए हैं। यदि छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो स्थिति बहुत ही विपरीत हो जाएगी।
राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र ने दायर की थी याचिका छात्रसंघ चुनाव न कराने के खिलाफ राजस्थान यूनिवर्सिटी एमए प्रथम वर्ष के छात्र जय राव ने 24 जुलाई को याचिका दायर की थी।
याचिका में बताया गया कि छात्र प्रतिनिधि चुनना छात्रों का मौलिक अधिकार है, लेकिन सरकार तीन सत्रों से चुनाव नहीं करवा रही है। इसको लेकर हाईकोर्ट ने 29 जुलाई को सुनवाई कर सरकार से जवाब मांगा था।
बता दें कि छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर प्रदेश भर में छात्र नेता प्रदर्शन कर चुके हैं।