डीडवाना-कुचामन: कुचामन सिटी उपखंड के आनंदपूरा गांव से जुड़ी एक मार्मिक लेकिन प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जिसने पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यहां के रहने वाले भामाशाह विजेंद्र मुआल ने अपने मानवीय संवेदना और सामाजिक जिम्मेदारी का परिचय देते हुए एक अनोखी मिसाल पेश की है। दरअसल, आनंदपूरा निवासी डालूराम बावरी की हाल ही में सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई।
इस हादसे के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, खासकर उनके छह मासूम बच्चों (5 बेटियाँ और एक बेटा) के सामने शिक्षा और भविष्य का संकट गहरा गया। ऐसे कठिन समय में समाजसेवी विजेंद्र मुआल ने इन बच्चों को न केवल आर्थिक संबल दिया, बल्कि उन्हें गले लगाकर नया जीवन देने का बीड़ा भी उठाया। विजेंद्र मुआल ने पीड़ित परिवार को तत्काल ₹51,000 की आर्थिक सहायता प्रदान की, साथ ही इन छह बच्चों की पूरी शिक्षा का खर्च उठाने का संकल्प लिया।जिसमें स्कूल ड्रेस, जूते-मोजे, टाई-बेल्ट, स्कूल बैग, किताबें, फीस और अन्य आवश्यक सामग्री शामिल है।
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
यंगेस्ट स्कूल, कुचामन के संचालक पवन कुमावत ने बताया कि विजेंद्र मुआल स्वयं विद्यालय पहुंचे और बच्चों को सभी शैक्षणिक सामग्री भेंट की। उनके इस कार्य ने न सिर्फ बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लौटाई, बल्कि पूरे विद्यालय परिसर को भावुक कर दिया। यह कदम केवल सहायता नहीं, बल्कि समाज को संवेदना, सेवा और सहभागिता का एक आदर्श संदेश है। उन्होंने दिखा दिया कि जब एक इंसान आगे आता है, तो कितनों की ज़िंदगी बदल सकती है। उन्होंने न सिर्फ बच्चों की आंखों से आंसू पोंछे, बल्कि उनके सपनों में रंग भी भर दिए।
भामाशाह विजेंद्र मुआल का यह मानवीय कदम एक परिवार के लिए राहत की किरण है, लेकिन इससे भी बढ़कर यह समूचे समाज के लिए प्रेरणा और आशा की लौ है। ऐसे संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिकों से ही समाज में सकारात्मक बदलाव संभव होता है। दुख की घड़ी में जहां लोग साथ छोड़ देते हैं, वहीं भामाशाह विजेंद्र मुआल जैसे लोग उम्मीद की सबसे मजबूत डोर बन जाते हैं।