राजस्थान: लगातार डटे रहे, जनता के लिए लड़े…मकराना टोल संघर्ष में 28 घंटे बाद मिली जीत, निजी वाहनों को मिली छूट

डीडवाना-कुचामन: मकराना और परबतसर के दोनों विधायकों की अगुवाई में शुरू हुआ मंगलाना टोल प्लाजा के खिलाफ धरना आखिरकार 28 घंटे बाद एक ऐतिहासिक समझौते के साथ खत्म हुआ. मकराना विधायक जाकिर हुसैन गैसावत और परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया की नेतृत्व क्षमता, स्थानीय लोगों की एकजुटता और जनदबाव ने प्रशासन और टोल कंपनी को झुकने पर मजबूर कर दिया. परिणामस्वरूप स्थानीय निजी वाहनों को टोल से छूट देने का निर्णय लिया गया.

मंगलाना टोल से उठी चिंगारी, जनआंदोलन बना

मंगलाना और किंसरिया गांवों में हाल ही में शुरू हुए नए टोल के खिलाफ नाराजगी की लहर थी. जैसे ही टोल वसूली शुरू हुई, ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया. 20 किलोमीटर के दायरे में बसे गांवों से भी निजी वाहनों से टोल वसूला जा रहा था, जो कि नियमों के विरुद्ध है. सोमवार को दोपहर 12 बजे मकराना विधायक जाकिर हुसैन गैसावत और परबतसर विधायक रामनिवास गावड़िया ने इस मुद्दे को लेकर मोर्चा संभालते हुए टोल गेट पर अनिश्चितकालीन धरने की शुरुआत की. दिन ढलने के बाद भी दोनों विधायक धरना स्थल पर डटे रहे. उनके साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण, व्यापारी, सामाजिक संगठन और संगमरमर उद्योग से जुड़े लोग भी शामिल हुए.

बिना परिणाम रही शुरुआती वार्ता, फिर सड़क बनी संघर्षस्थल

सोमवार को ही उपखंड अधिकारी अंशुल सिंह की मौजूदगी में टोल कंपनी के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच वार्ता हुई, पर बात किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी. इसके बाद दोनों विधायकों ने टोल गेट पर ही बैठकर सड़क पर धरना शुरू कर दिया. रातभर टोल गेट पर संघर्ष का माहौल बना रहा. टोल वसूली बंद रही और प्रशासन असमंजस में. दूसरी ओर, आंदोलनकारी हर घंटे और अधिक एकजुट होते गए.

विधायक की तबीयत बिगड़ी, फिर भी नहीं डिगे हौसले

धरना स्थल पर जब विधायक जाकिर हुसैन गैसावत की तबीयत बिगड़ने लगी तो मेडिकल जांच में उनका शुगर लेवल 370 निकला. इसके बावजूद वे हिम्मत के साथ वहीं डटे रहे. संगमरमर व्यवसायी अजीज गहलोत ने कहा कि यह कोई साधारण विरोध नहीं था. विधायक अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना जनता के साथ खड़े रहे. इस धरने ने साबित कर दिया कि असली नेतृत्व वही है जो संकट में साथ निभाए.

प्रशासन हरकत में आया, बनी सहमति

मंगलवार को जिला कलेक्टर महेंद्र खड़गावत ने टोल कंपनी के अधिकारियों से वार्ता की और स्थानीय प्रतिनिधियों की मौजूदगी में मध्यस्थता करवाई. इस बातचीत में सहमति बनी कि मकराना सहित 20 किलोमीटर की परिधि में आने वाले सभी गांवों के निजी वाहनों को पास जारी कर टोल से मुक्त किया जाएगा. एडीएम राकेश गुप्ता ने बताया कि स्थानीय तहसीलदार और पटवारी गांवों का सर्वे करेंगे और टोल कर्मचारियों को गांवों की सूची सौपेंगे. उसी आधार पर पास बनाकर निजी वाहनों को छूट दी जाएगी. वाणिज्यिक वाहनों को पहले की तरह टोल देना होगा.

धरना खत्म, जनता को समर्पित किया निर्णय

धरना समाप्त होने के बाद विधायक जाकिर हुसैन गैसावत ने कहा कि यह सिर्फ हमारी मांग नहीं थी, यह जनता की आवाज़ थी. मैं सभी मकराना वासियों का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ, जिन्होंने इस संघर्ष में हमारा साथ दिया. आपकी एकता और धैर्य ने यह साबित कर दिया कि जब जनता खड़ी होती है तो सरकार को भी सुनना पड़ता है. यह लड़ाई सत्ता या विपक्ष की नहीं, जनहित की थी और इसमें जनता की जीत हुई है.

वहीं विधायक रामनिवास गावड़िया ने कहा कि हमने जयपुर से लेकर जिला मुख्यालय तक हर स्तर पर टोल कंपनी की मनमानी को लेकर आवाज़ उठाई, लेकिन जब बात नहीं बनी, तब आप सबने हमें धरने की ताकत दी. कुछ लोगों ने इसे तोड़ने की कोशिश भी की, लेकिन हम सब एक दीवार बनकर डटे रहे. आज सरकार को 30 घंटे में निर्णय लेना पड़ा, ये आपकी जागरूकता और एकजुटता की जीत है.

अब आगे क्या?

मकराना क्षेत्र के अन्य टोल स्थलों की जांच के लिए विशेष कमेटी का गठन किया गया है, जो विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर आगे की नीति तय करेगी. इस आंदोलन को नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल का भी समर्थन प्राप्त रहा, जिन्होंने पहले ही टोल नीति को लेकर सरकार से सवाल पूछे थे. वहीं संगमरमर व्यापार मंडल अध्यक्ष रियाज गौड़ और अन्य सामाजिक संगठनों ने भी इस लड़ाई को मजबूती दी.

28 घंटे का यह टोल आंदोलन सत्ता के गलियारों तक गूंज गया. विधायक जाकिर गैसावत के अदम्य हौसले, विधायक रामनिवास गावड़िया की लगातार सक्रिय भागीदारी और जनता की एकता ने यह दिखा दिया कि जब बात जनहित की हो, तो संघर्ष रंग लाता है चाहे टोल हो या सिस्टम की जिद.

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