उत्तर प्रदेश के संभल में शाही मस्जिद का सर्वे किया गया था, जिसमें बवाल मच गया था. मस्जिद में मंदिर होने का दावा किया गया था. इसी के बाद अब राजस्थान के अजमेर जिले में ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर मामला कोर्ट पहुंच गया है. इस मामले पर AIMIM के प्रमुख असदद्दुीन ओवैसी ने कहा, ये अदालतों का कानूनी फर्ज है के वो 1991 एक्ट को अमल में लाए बहुत ही अफसोसनाक बात है के हिंदुत्व तंजीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और नरेंद्र मोदी चुप चाप देख रहे हैं.
अजमेर दरगाह के सर्वे को लेकर बुधवार को कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका में हिंदू पक्ष ने अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताया है. इसी के बाद कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है और अगली सुवाई 20 दिसंबर को होगी.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
ओवैसी ने क्या कहा?
सुल्तान-ए-हिन्द ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं। उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे इंशाअल्लाह। कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गये, लेकिन ख़्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है। 1991 का इबादतगाहों का… https://t.co/ZJvUnOtwCw
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 27, 2024
असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर कहा, सुल्तान-ए-हिन्द ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं. उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे इंशाअल्लाह. कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गए, लेकिन ख्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है.
1991 का इबादतगाहों का कानून साफ कहता है के किसी भी इबादतगाह की मजहबी पहचान को तब्दील नहीं किया जा सकता, ना अदालत में इन मामलों की सुनवाई होगी. ये अदालतों का कानूनी फर्ज है के वो 1991 एक्ट को अमल में लाए, बहुत ही अफसोसनाक बात है के हिंदुत्व तंजीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और नरेंद्र मोदी चुप चाप देख रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
यह याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की तरफ से कोर्ट में दायर की गई थी. अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दरगाह से संबंधित मुद्दों को उठाते हुए कानूनी हस्तक्षेप की मांग की थी. हालांकि, अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी, जहां पक्षों के तर्क और दस्तावेज सामने रखे जाएंगे. वहीं, हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना है कि यह मामला हिंदू समाज की धार्मिक आस्थाओं से संबंधित है. कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान दावे को पुष्ट करने के लिए सबूत के तौर पर एक खास किताब पेश की गई थी. इस किताब के हवाले से यह दावा कोर्ट में किया गया था कि दरगाह में एक हिंदू मंदिर था.
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