डीडवाना – कुचामन: भारतीय समाज में रिश्तों की मजबूती और बुजुर्गों का सम्मान हमेशा एक मिसाल रहा है, लेकिन बदलते समय में पारिवारिक मूल्यों का क्षरण दिल को चीर देने वाली घटनाओं को जन्म दे रहा है.
डीडवाना – कुचामन जिले के धनकोली गांव में 79 वर्षीय बुजुर्ग उस्मान खान और उनकी पत्नी आयशा के साथ जो हुआ, वह इंसानियत को शर्मसार करने वाला है. आरोप है कि उनकी अपनी ही पौत्र वधू ने उन्हें घर से निकाल दिया, और पिछले छह महीने से यह बुजुर्ग दंपत्ति खेत में पेड़ की छांव तले दिन-रात गुजारने को मजबूर हैं.
उस्मान खान ने बताया कि उन्होंने अपने पोते अमीस की शादी बड़े अरमानों से की थी. कुछ समय बाद बेटा, बहू और पोता घर छोड़कर अलग रहने चले गए, और घर में वह अपनी पौत्र वधू के साथ ही रह गए। लेकिन अब उसी पौत्र वधू ने उन्हें जबरन घर से निकाल दिया. “जिस मकान में हम रहते थे, वो मेरी मेहनत से बनाया गया था, लेकिन अब उसमें हमारा कोई ठिकाना नहीं। हमारी सुनवाई तक नहीं हो रही, क्योंकि पौत्र वधू के पिता पुलिस में बड़े अधिकारी हैं,” उस्मान खान ने आंसू रोकते हुए कहा.
पत्नी आयशा ने भावुक होकर बताया, “बुढ़ापे में हमें सहारा चाहिए था, लेकिन हमें अपने ही खेत में शरण लेनी पड़ी। गर्मी, सर्दी और बारिश में यही पेड़ हमारी छत है.”
मामला मोलासर थाना पहुंचा तो पुलिस ने केवल शिकायत दर्ज कर उन्हें घर भेज दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की. कई दिनों तक न्याय की आस में थाने के चक्कर काटने के बाद भी जब राहत नहीं मिली, तो बुजुर्ग दंपत्ति जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे. वहां उन्होंने जिला कलक्टर डॉ. महेंद्र खड़गावत से इंसाफ की गुहार लगाई और न्याय नहीं मिलने पर इच्छा मृत्यु की मांग भी की.
डॉ. खड़गावत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत एसपी ऋचा तोमर से इस बारे में चर्चा की, और मौलासर तहसीलदार को जांच कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए.
कलक्टर ने कहा, “बुजुर्गों का अपमान किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.यह बेहद संवेदनशील मामला है, इसमें न्याय सुनिश्चित किया जाएगा.”
आज के दौर में जब लोग अपने बुजुर्ग माता-पिता और दादा-दादी को सहारा देने के बजाय उन्हें अकेला छोड़ रहे हैं, धनकोली का यह मामला समाज के लिए चेतावनी है. रिश्तों की नींव भरोसे और सम्मान पर टिकी होती है, और जब यही दरक जाए तो परिवार केवल चार दीवारों का ढांचा बनकर रह जाता है. धनकोली का यह मामला केवल एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि समाज के लिए आईना है.
आज जब लोग अपने बुजुर्गों को सहारा देने के बजाय उन्हें अकेला छोड़ रहे हैं, यह घटना हमें याद दिलाती है कि रिश्ते सिर्फ खून के नहीं, बल्कि आदर और सहारे से बने होते हैं.