डीडवाना-कुचामन: जिले के गच्छीपुरा पुलिस ने एक अत्यंत पेचीदा और वर्षों पुराने मामले में उल्लेखनीय सफलता हासिल करते हुए 13 वर्ष पूर्व अपहृत की गई नाबालिग बालिका को जोधपुर से दस्तयाब किया है. इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पुलिस अगर ठान ले तो वर्षों पुराने केस भी सुलझाए जा सकते हैं. यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक हनुमान प्रसाद के नेतृत्व में, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जिनेन्द्र जैन (परबतसर) और वृताधिकारी भवानी सिंह (मकराना) के मार्गदर्शन में संपन्न हुई. थानाधिकारी हरिकृष्ण तंवर के निर्देशन में गठित टीम ने तकनीकी विश्लेषण और लगातार प्रयासों के दम पर यह सफलता प्राप्त की.
जानकारी के मुताबिक, 12 मई 2012 को धन्नाराम निवासी बेसरोली ने गच्छीपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी 17 वर्षीय पुत्री अन्नी कुमारी 5 मई की रात 3:30 बजे घर से बिना बताए कहीं चली गई है. परिजनों की ओर से कई दिन तक की गई तलाश के बावजूद उसका कोई सुराग नहीं लगा. मामले में गुमशुदगी रिपोर्ट संख्या 04/12 दर्ज की गई. बाद में 28 जून 2016 को प्रकरण को एफआईआर संख्या 72/16 के तहत धारा 363, 342 IPC में तब्दील किया गया, लेकिन पीड़िता और आरोपी का कोई सुराग न लगने पर अदम पता रिपोर्ट के साथ मामला न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया गया.
वर्तमान पुलिस अधीक्षक हनुमान प्रसाद ने इस वर्षों पुराने केस को पुनः खोला और थाने को दोबारा गहराई से जांच के निर्देश दिए. थानाधिकारी हरिकृष्ण तंवर ने केस को गंभीरता से लेते हुए जांच टीम गठित की. कांस्टेबल विकास कुमार द्वारा मोबाइल डेटा का तकनीकी विश्लेषण किया गया और संदिग्ध नंबरों को ट्रैक किया गया.
इस प्रक्रिया के तहत पुलिस को जोधपुर में मेड़ता रोड रेलवे स्टेशन के पास संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिली, जिस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए टीम ने अपहृता को दस्तयाब कर लिया. वर्तमान में अन्नी कुमारी की एक 6 वर्षीय पुत्री भी है. पुलिस द्वारा महिला से पूछताछ कर मामले की पूरी जानकारी जुटाई जा रही है. इस उल्लेखनीय कार्रवाई में कांस्टेबल विकास कुमार और महिला कांस्टेबल बाजू की भूमिका विशेष रही. विकास कुमार ने तकनीकी विश्लेषण में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे केस की दिशा तय हुई.
क्यों है यह कार्रवाई महत्वपूर्ण?
यह मामला सिर्फ एक लापता बालिका की बरामदगी नहीं, बल्कि पुलिस की प्रतिबद्धता, तकनीकी दक्षता और वर्षों पुराने मामलों में न्याय दिलाने की दृढ़ इच्छा का प्रमाण है. गच्छीपुरा पुलिस की यह कार्रवाई समाज के लिए एक प्रेरक उदाहरण है कि न्याय में देरी जरूर हो सकती है, लेकिन पुलिस की दृढ़ता से न्याय अधूरा नहीं रह सकता.