डीडवाना – कुचामन, राजस्थान के नागौरी बैलों के लिए मशहूर डीडवाना का इंडोलाव पशु मेला शुरू हो चुका है। मेले में जहां एक ओर पशु श्रृंगार और कृषि उपकरणों की दुकानें सज गई हैं, वहीं दूसरी ओर एक खास भैंसा सबका ध्यान खींच रहा है। यह भैंसा है “बलवीर”, जिसकी चर्चा पूरे मेले में है और जिसे देखने लोग दूर-दूर से आ रहे हैं.
राजस्थान की पशुपालन परम्परा में सदियों से पशु मेले अहम भूमिका निभाते आए हैं। डीडवाना का यह मेला भी नागौरी नस्ल के बैलों की खरीद-बिक्री के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। यहां ऊंट, घोड़े और भैंसे भी खूब खरीदे-बेचे जाते हैं। लेकिन इस बार आकर्षण का केंद्र है मुर्रा नस्ल का भैंसा “बलवीर”.
बलवीर के मालिक डूंगाराम, जो पेशे से शिक्षक हैं, इसे नागौर जिले के परबतसर उपखंड के बरनेल गांव से लेकर आए हैं। डूंगाराम ने बलवीर को हरियाणा के भट्टू कला से खरीदा था, जब यह मात्र तीन दिन का था। अब यह 33 महीने का हो चुका है। बलवीर जब 26 महीने का था, तब एक डेयरी मालिक ने उस पर 10 लाख रुपए की बोली लगाई थी, लेकिन डूंगाराम ने साफ मना कर दिया। आज इसकी बोली एक करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है, फिर भी मालिक का कहना है कि वे इसे बेचने का इरादा नहीं रखते, क्योंकि उन्होंने इसे अपने बच्चे की तरह पाला है.
बलवीर का शरीर चमकदार और सुडौल है। उसका वजन 8 से 10 क्विंटल के बीच है और उसे संभालने के लिए एक बार में पांच लोगों की जरूरत पड़ती है.
बलवीर की खास डाइट में बाजरा, गेहूं, देसी घी और तिल्ली का तेल शामिल है। इसी वजह से उसका शरीर मजबूत और आकर्षक दिखता है.
नस्ल सुधार में महत्व
पशु चिकित्सक डॉ. रामेश्वरलाल के अनुसार, बलवीर जैसे भैंसे नस्ल सुधार और सीमन उत्पादन के लिए बेहद उपयोगी हैं। बलवीर का सीमन देशभर में मांग में है.
एक ड्रॉप सीमन की कीमत लगभग 2400 रुपए होती है।
एक बार में निकले 10 से 14 मिलीलीटर सीमन से 700 से 900 डोज तैयार किए जाते हैं.
बलवीर का जेनेटिक महत्व उसकी मां से भी जुड़ा है। उसकी मां भी मुर्रा नस्ल की ताकतवर और सुडौल भैंस है, जो एक बार में 22 लीटर दूध देती है। इसी कारण बलवीर की नस्ल की कीमत करोड़ों तक पहुंच जाती है.