डीडवाना – कुचामन: जिले की कुचामन सिटी अदालत ने दुष्कर्म के एक गंभीर मामले में मात्र साढ़े चार महीने में ही ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पीड़िता को त्वरित न्याय दिलाया है. अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश सुन्दर लाल खारोल ने आरोपी जगरूप को 20 वर्ष के कठोर कारावास और पांच लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई.
अपर लोक अभियोजक मनीष शर्मा ने जानकारी दी कि पीड़िता ने 3 फरवरी 2025 को मारोठ थाना पुलिस को रिपोर्ट दी थी. रिपोर्ट में बताया गया कि आरोपी जगरूप ने पीड़िता का नहाते समय वीडियो बना लिया और उसे दिखाकर दुष्कर्म किया. इसके बाद उसने अश्लील वीडियो बनाकर वायरल करने की धमकी दी और बार-बार यौन उत्पीड़न करता रहा.
पुलिस ने इस मामले में गंभीर धाराओं के तहत आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया.अन्वीक्षा अभियोजन की ओर से 14 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए और 25 दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए नावां थानाधिकारी नन्दलाल रिणवा को केस ऑफिसर नियुक्त किया गया, जिन्होंने हर पेशी पर खुद मौजूद रहकर गवाहों की तामील करवाई.
सुनवाई के बाद कोर्ट ने जगरूप को भारतीय न्याय संहिता की धारा 64(1) के तहत 20 साल के कठोर कारावास और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा दी. अर्थदंड अदा न करने पर उसे अतिरिक्त 2 साल की कैद भुगतनी होगी. इसके अलावा विभिन्न धाराओं में उसे साधारण कारावास और अतिरिक्त जुर्मानों से भी दंडित किया गया, जिसमें आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत तीन साल की कैद और तीन लाख रुपये जुर्माना भी शामिल है.
फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त की हरकतों ने पीड़िता को न केवल शारीरिक और मानसिक पीड़ा दी, बल्कि उसे सामाजिक बहिष्कार, पारिवारिक उपेक्षा और जीवनभर की शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा. न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “महिला कोई वस्तु नहीं है जिसे बिना उसकी सहमति के उपयोग किया जा सके। समाज में बेटियों की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करना हर संवैधानिक व सामाजिक संस्था का कर्तव्य है। न्याय की जीत ही अंततः समाज की जीत है.”
इस त्वरित फैसले ने न सिर्फ पीड़िता को न्याय दिलाया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि अदालतें महिला सुरक्षा से जुड़े मामलों में संवेदनशीलता और सख्ती दोनों के साथ काम कर रही हैं.