डीडवाना – कुचामन: पूरी दुनिया में भारत जैसी विविधताओं वाला देश और नहीं है, भारत न केवल विभिन्न रंगों में रंगा है बल्कि यहां की संस्कृति भी औरों से हटकर रंग बिरंगी है, दुनिया में सबसे ज्यादा उत्स्व और त्यौंहार भारत भर में ही मनाए जाते हैं.
इन त्योहारो में एक खास उत्सव है होली होली के त्यौहार पर भारत में जगह-जगह अलग अलग तरह से मनायी जाती है मगर डीडवाना में माली समाज कि और से निकाली जानी वाली परम्परागत होली कि गैर देश कि अनूठी गैर है माली समाज के युवा इस संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए आज भी इसको बराबर एक सुद्ध प्रतिसपर्धा के साथ गैर निकलते हैहै.
डीडवाना में आज भी होली की एक अनूठी परम्परा बनी हुई है, यहां के लोगों ने सदियों से जारी परम्पराओं को न केवल जिन्दा रखा है। बल्कि उन परम्पराओं से शहर को विशिष्ट पहचान भी दिलवाई है। डीडवाना के माली समाज के 12 बासों की ओर से धूलण्डी के दिन निकाली जाने वाली गैर इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जहां हजारों लोग एक साथ इकठ्ठा होकर होली खेलते हैं और नए-नए स्वांग रचते हैं.
इसके अलावा मालियोंकी गैर शहर का भ्रमण कर लोगों के घर-घर जाकर लोगों को होली की बधाईयां देते हुए उन्हे होली खेलने को प्रेरित करती है, यहीं नहीं पूरे राजस्थान में यह गैर अपनी तरह की सबसे अलग है, पूरे राजस्थान में यह परम्परा डीडवाना में ही निभाई जाती है। डीडवाना में जिस तरह से होली मनाई जाती है वह भारत भर में और कही नहीं मनाई जाती, जिसकी तुलना प्रदेश के लोग ब्राजिल के विश्वप्रसिद्ध कार्निवाल से भी करते है.