डीडवाना-कुचामन : जिले के छोटे से गांव भवादीया की बेटी लेफ्टिनेंट कर्नल दीपिका राठौड़ ने एक बार फिर अपने अदम्य साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति और मातृभूमि के प्रति समर्पण का परिचय देते हुए अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (ऊंचाई 5,895 मीटर) को फतह कर भारत का तिरंगा लहराया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि से न केवल उनके गांव, जिला और राज्य को गर्व है, बल्कि पूरे देश में उनका यह साहसिक कार्य प्रेरणा बन गया है.
कठिन परिस्थितियों को किया परास्त
दीपिका ने इस चढ़ाई के दौरान बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना किया—जैसे तेज बर्फीली हवाएं, ऑक्सीजन की कमी और हाड़ कंपा देने वाली ठंड। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और पूरी लगन व हौसले के साथ यह मुकाम हासिल किया।
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
एक के बाद एक ऊंचाइयों को छूती रहीं
यह पहली बार नहीं है जब दीपिका ने पर्वतारोहण में इतिहास रचा हो। वे दो बार दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (वर्ष 2012 और 2016) फतह कर चुकी हैं। इसके अलावा वे यूरोप के माउंट एल्ब्रुस (रूस) और दक्षिण अमेरिका के माउंट एकांकागुआ (अर्जेंटीना) को भी सफलता पूर्वक फतह कर चुकी हैं। अब उनका अगला लक्ष्य है उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के अलास्का स्थित माउंट डेनाली, जिसकी तैयारी उन्होंने शुरू कर दी है।
सेना में सेवा और साहस की मिसाल
वर्ष 2008 में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट पद से सेवा शुरू करने वाली दीपिका आज लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर कार्यरत हैं। 2011 में कैप्टन और बाद में मेजर बन चुकी दीपिका राठौड़ ने नारी शक्ति का असली स्वरूप प्रस्तुत करते हुए सेना और समाज दोनों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
वे राजस्थान की पहली महिला और भारतीय सेना की एकमात्र महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने इतनी ऊंचाइयों तक पर्वतारोहण कर देश का गौरव बढ़ाया है।
गांव में जश्न का माहौल
दीपिका की इस शानदार उपलब्धि की खबर मिलते ही उनके पैतृक गांव भवादीया में खुशी की लहर दौड़ गई है। ग्रामीणों और परिजनों ने ढोल-नगाड़ों और मिठाई बांटकर जश्न मनाया।
लेफ्टिनेंट कर्नल दीपिका राठौड़ जैसी बेटियां इस बात का प्रमाण हैं कि हिम्मत, मेहनत और देशभक्ति से कोई भी ऊंचाई नामुमकिन नहीं। वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं। देश को उन पर गर्व हैं.