भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ शहर में आयोजित एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया. रक्षा मंत्री ने इस दौरान चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की.
मुलाकात पर चीन ने कहा, एससीओ समानता, परामर्श, पारस्परिक लाभ और क्षेत्रीय बहुपक्षीय सहयोग की शंघाई भावना को बनाए रखता है. यह एक ऐसा मंच है जो सदस्य देशों को साझा हितों पर सहयोग बढ़ाने और आपसी विश्वास को सुदृढ़ करने का अवसर देता है. यह मंच आपसी सहयोग को गहरा करने के साथ-साथ रणनीतिक आपसी विश्वास बढाता है.
चीन ने ये भी कहा, एससीओ मंच भारत और पाकिस्तान के मतभेदों को सुलझाने का मंच नहीं है, द्विपक्षीय वार्ता का रास्ता ही उपयुक्त है. उसने भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चलते आ रहे मतभेदों को जगजाहिर होने की बात कही, एससीओ सदस्यों ने क्षेत्रीय शांति के लिए द्विपक्षीय चैनलों के ज़रिए ऐसे मुद्दों को लगातार हल करने का आह्वान किया है.
चीन की ओर से यह भी कहा गया, कुछ भारतीय मीडिया में यह रिपोर्ट आई कि भारत ने आतंकवाद पर रुख को लेकर संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए. यह बहुपक्षीय मंच है और आम सहमति के बिना संयुक्त बयान संभव नहीं, इसलिए इसे भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय मुद्दे से जोड़ना सही नहीं है.
मुलाकात पर राजनाथ ने क्या कहा?
राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों को बातचीत से मुश्किल मुद्दों को सुलझाना चाहिए और सीमा विवाद का स्थायी हल निकालना चाहिए. उन्होंने साफ कहा कि सीमा को सही तरीके से तय करने और अच्छे पड़ोसी जैसे रिश्ते बनाने के लिए पुराने तंत्रों को फिर से सक्रिय करना जरूरी है.
रक्षा मंत्री ने बताया कि 2020 में सीमा पर हुई झड़पों के बाद जो भरोसे की कमी आई थी, उसे जमीन पर काम करके ही खत्म किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि एशिया और दुनिया में स्थिरता के लिए भारत और चीन को साथ काम करना चाहिए. दोनों देशों ने आपसी बातचीत को आगे बढ़ाने और तनाव कम करने के लिए अलग-अलग स्तर पर चर्चा जारी रखने पर सहमति जताई.
राजनाथ सिंह ने यह भी बताया कि इस साल भारत-चीन के रिश्तों के 75 साल पूरे हो गए हैं. उन्होंने कैलास मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होने पर खुशी जाहिर की. इसके अलावा रक्षा मंत्री ने पहलगाम, जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले और पाकिस्तान में आतंकियों के नेटवर्क को खत्म करने के लिए चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी भी चीन को दी.
‘शांति-समृद्धि और आतंकवाद साथ-साथ नहीं’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान और आतंकवाद पर जमकर प्रहार किया. रक्षा मंत्री ने एससीओ के जॉइंट ड्राफ्ट पर साइन करने से मना कर दिया.
राजनाथ सिंह ने कहा, “मेरा यह भी मानना है कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से जुड़ी हुई हैं. इन समस्याओं का मूल कारण कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में इजाफा है. शांति-समृद्धि और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते. इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है और हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा और संरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए.”
एससीओ की बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी नज़र आए. पहलगाम हमले के बाद ऐसा पहली बार है जब किसी मंच पर दोनें नेता एक साथ नज़र आए हैं. समिट में रक्षा मंत्री ने टीआरएफ के पाकिस्तान कनेक्शन का भी जिक्र किया.