अयोध्या : रक्षा बंधन का पर्व नज़दीक आते ही रामनगरी अयोध्या के बाजारों में रौनक लौट आई है.इस बार 9 अगस्त को मनाए जा रहे रक्षा बंधन के लिए खास तैयारियां चल रही हैं.बहनें अपने भाईयों के लिए खास राखियां खरीद रही हैं, लेकिन इनमें जो राखी सबसे अधिक चर्चा में है, वह है ‘रामलला के नाम की राखी’.
सावन की पूर्णिमा पर मनाया जाने वाला रक्षा बंधन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है.परंपरागत तौर पर बहनें इस दिन अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए राखी बांधती हैं.अयोध्या की पवित्र धरती पर इस बार धार्मिक भावनाओं से जुड़ी राखियों की खास डिमांड देखी जा रही है.
रामलला वाली राखी की सबसे ज्यादा डिमांड
स्थानीय दुकानदारों की मानें तो इस बार श्रीराम के नाम की राखियों की बिक्री में ज़बरदस्त उछाल देखा गया है.दुकानदार बताते हैं कि “लड्डू गोपाल, खाटू श्याम, वाहेगुरु और साईं बाबा की राखियां भी उपलब्ध हैं, लेकिन रामलला वाली राखियों की सबसे अधिक मांग है। खासकर अयोध्या की महिलाएं और लड़कियां रामलला के नाम की राखी को प्राथमिकता दे रही हैं.”
भगवान की नगरी में भगवान के नाम की राखी ही सही
बहनों का भी कहना है कि “जब हम प्रभु श्रीराम की नगरी में रहते हैं, तो अपने भाई की कलाई पर भी भगवान राम के नाम की ही राखी बांधना हमारी आस्था का प्रतीक है.”
भाईचारे की मिसाल भी पेश कर रही रामनगरी
इसी बीच अयोध्या में गंगा-जमुनी तहज़ीब की भी एक खूबसूरत मिसाल देखने को मिली, जब एक मुस्लिम महिला ने अपने हिंदू भाई के लिए रक्षा बंधन की राखी और सजावटी धागे खरीदे.इस महिला ने धर्म और मजहब से ऊपर उठकर भाईचारे और सौहार्द का जो संदेश दिया, वह इस पावन नगरी की सांस्कृतिक विरासत को और भी गौरवशाली बनाता है.
रक्षा बंधन बना रामनगरी में आस्था और एकता का पर्व
रक्षा बंधन का यह पर्व इस बार अयोध्या में केवल एक पारंपरिक त्योहार नहीं रहा, बल्कि यह आस्था, संस्कृति और सामाजिक एकता का प्रतीक बनकर उभरा है.श्रीराम के नाम की राखियों की बिक्री और उसमें झलकती श्रद्धा के साथ-साथ भाईचारे की अनूठी मिसाल अयोध्या को एक बार फिर आध्यात्मिक और सामाजिक समरसता की धरती साबित कर रही है.