रक्षा बंधन: रिश्तों की डोर में बंधा भारत, बहनों ने बांधी राखी, भाइयों ने निभाने का लिया वचन

अयोध्या: सावन पूर्णिमा का पावन पर्व रक्षा बंधन आज पूरे देश में श्रद्धा, स्नेह और उल्लास के साथ मनाया गया. तड़के से ही घर-घर में तैयारियां शुरू हो गईं. बहनों ने थाल सजाए, राखियां, मिठाइयां और अक्षत के साथ आरती की थाल में दीप प्रज्ज्वलित किया, और भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनके जीवन में सुख, शांति, स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना की। बदले में भाइयों ने भी बहनों की रक्षा और सम्मान का संकल्प लिया.

मंदिरों, घरों और बाजारों में सुबह से ही रौनक दिखाई दी। रंग-बिरंगी राखियों से सजी दुकानें, मिठाई की महक और रिश्तों की गर्माहट ने माहौल को और भी खुशनुमा बना दिया. इस बार बाजारों में रामलला वाली राखियों, पर्यावरण-हितैषी राखियों और हाथ से बनी डिज़ाइनर राखियों की सबसे ज्यादा मांग रही. अयोध्या के हाट-बाजारों में तो रामलला की तस्वीर और मंदिर की झलक वाली राखियां लोगों को खासा आकर्षित कर रही थीं.

अयोध्या में आध्यात्मिक रंग

रामनगरी अयोध्या में इस पर्व का रंग आध्यात्मिक भी रहा। यहां बहनों ने न केवल अपने भाइयों को, बल्कि रामलला को भी राखी अर्पित की। यह परंपरा वर्षों से निभाई जा रही है, जिसमें बहनें भगवान को अपना भाई मानकर उनकी कलाई में रक्षा सूत्र बांधती हैं। इस दौरान भक्ति गीत, मंदिरों में विशेष पूजन और प्रसाद वितरण ने माहौल को और पवित्र बना दिया.

समाज के रक्षकों को सलाम

रक्षा बंधन के इस अवसर पर कई छात्राओं, महिला संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने पुलिसकर्मियों, सैनिकों, अग्निशमन दल के जवानों और सफाईकर्मियों को भी राखी बांधी. यह पहल इस संदेश के साथ की गई कि रक्षा और सेवा का भाव केवल घर तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र तक फैला हुआ है. बहनों ने इन कर्मवीरों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि वे दिन-रात हमारी सुरक्षा, स्वच्छता और सेवा के लिए तत्पर रहते हैं, इसलिए वे भी हमारे “भाई” के समान हैं.

मिठाइयों और उपहारों में छलका स्नेह

राखी के साथ मिठाइयों की दुकानों पर भी दिनभर भीड़ रही। रसगुल्ले, गुलाबजामुन, काजू कतली, और सूखे मेवों के गिफ्ट पैक सबसे अधिक बिके। गिफ्ट शॉप्स में भी भाइयों द्वारा बहनों के लिए परफ्यूम, साड़ी, पर्स, ज्वेलरी और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स खरीदने की होड़ रही.

रक्षा बंधन से जुड़ी लोककथाएं

1. राजा बलि और भगवान विष्णु की कथा

मान्यता है कि त्रेतायुग में असुरराज बलि ने भगवान विष्णु से अपने महल में रहने का वचन ले लिया। लक्ष्मीजी अपने पति को वापस लाने के लिए बलि के पास पहुंचीं और उन्हें राखी बांध दी। बलि ने उन्हें बहन मानकर विष्णुजी को उनके साथ भेज दिया। तभी से रक्षा बंधन को भाई-बहन के पवित्र वचन का पर्व माना जाता है.

2. कृष्ण और द्रौपदी की कथा

महाभारत के समय एक बार श्रीकृष्ण की उंगली कट गई. द्रौपदी ने तत्काल अपने आंचल का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया. कृष्ण ने इसे अपना “रक्षा सूत्र” मानकर जीवन भर उनकी रक्षा का वचन दिया, और चीरहरण के समय उन्होंने द्रौपदी की लाज बचाई.

3. रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं की कथा

मध्यकाल में चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने बहादुर शाह के आक्रमण से बचने के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी। हुमायूं ने राखी के इस सम्मान को स्वीकार कर रानी की रक्षा के लिए अपनी सेना भेजी.

पर्व का संदेश
रक्षा बंधन केवल राखी बांधने का त्योहार नहीं, बल्कि यह रिश्तों के प्रति प्रेम, विश्वास और सुरक्षा की भावना का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि रक्षा का अर्थ केवल बहन की सुरक्षा नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति और मूल्य की रक्षा करना है जो हमारे जीवन और समाज को सुंदर बनाता है.

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