अयोध्या: राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर भक्तों का अयोध्या में अभूतपूर्व सैलाब उमड़ पड़ा. बीते एक वर्ष में 4 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने श्रीरामलला के दर्शन किए, और आस्था के इस केंद्र में 200 करोड़ रुपये से अधिक का चढ़ावा अर्पित किया गया. रामनगरी ने आर्थिक योगदान के मामले में भी इतिहास रच दिया, लखनऊ और नोएडा जैसे बड़े शहरों से अधिक जीएसटी भरकर विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं.
अयोध्या बना वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र
राम मंदिर निर्माण के बाद से अयोध्या ने न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आर्थिक और पर्यटन की दृष्टि से भी बड़ी प्रगति की है. श्रद्धालुओं की निरंतर बढ़ती संख्या ने स्थानीय व्यापार और उद्योगों को मजबूती दी है. बीते वर्ष में अयोध्या में 15,000 करोड़ रुपये का व्यवसाय हुआ, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिला. स्थानीय होम-स्टे सेवाओं में 1,000 से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया, और प्रतिदिन 25 क्विंटल से अधिक फूलों की बिक्री हुई, जो मंदिर अर्थव्यवस्था के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है.
22 जनवरी का विशेष महत्व
22 जनवरी 2024 को भगवान श्रीराम को मंदिर के गर्भगृह में पुनः स्थापित किया गया था, जो सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना का प्रतीक बना. इस ऐतिहासिक दिन ने न केवल भक्तों के लिए धार्मिक महत्त्व स्थापित किया, बल्कि भारत के सांस्कृतिक गौरव को भी एक नई ऊंचाई दी. श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने विक्रम संवत के अनुसार 11 जनवरी 2025 को रामलला का महाभिषेक कर इस शुभ तिथि को प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाने की घोषणा की.
अयोध्या का आर्थिक और धार्मिक उत्थान
अयोध्या अब केवल एक धार्मिक स्थल तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह आर्थिक रूप से भी एक मजबूत केंद्र बन चुका है. निवेशकों ने 2.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव दिए हैं, जिससे शहर में विकास की संभावनाएं और अधिक उज्ज्वल हो गई हैं. इसके अलावा, प्रयागराज में 144 वर्षों के अंतराल पर आयोजित महाकुंभ से ठीक एक वर्ष पूर्व राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा को भक्तगण दैवीय संयोग मान रहे हैं.
रामनगरी के विकास को मिली गति
अयोध्या में पर्यटन की वृद्धि ने होटल, रेस्टोरेंट, परिवहन, फूल और प्रसाद व्यवसायों को नई ऊंचाइयां दी हैं, यहां तक कि दीपोत्सव और अन्य आयोजनों ने श्रद्धालुओं को आकर्षित कर विश्व पटल पर अयोध्या को गौरव प्रदान किया है.
रामनगरी ने अपनी आस्था, विकास और सांस्कृतिक पुनर्स्थापना से यह प्रमाणित कर दिया है कि, वह अब वैश्विक आध्यात्मिक और आर्थिक केंद्र बनने की ओर अग्रसर है.