अयोध्या : रामनगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है.मंदिर निर्माण में अब तक 13 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग हो चुका है, जबकि कुल 14 लाख घन फीट पत्थर का इस्तेमाल किया जाना है। शेष एक लाख घन फीट पत्थर के कार्य को जुलाई के अंत तक पूरा कर लिए जाने की योजना है। यह जानकारी राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने संवाददाताओं से वार्ता के दौरान साझा की.
मंदिर निर्माण समिति की बैठक से पहले मीडिया से बात करते हुए मिश्र ने बताया कि मंदिर की 800 फीट लंबी लोअर प्लिंथ पर रामकथा के प्रसंगों का अंकन तेजी से पूरा किया जा रहा है। अब तक 500 फीट प्लिंथ पर सुंदर चित्रण उकेरा जा चुका है। वहीं, 780 मीटर लंबे परकोटे की दीवार पर भी कांस्य के 80 पैनलों के माध्यम से रामकथा को चित्रित किया जा रहा है, जिनमें से 45 पैनल लग चुके हैं। इस कार्य को भी जुलाई तक पूरा कर लिए जाने का अनुमान है.
टाइटेनियम की जालियों से खिड़कियों को किया जा रहा सुरक्षित
मंदिर की कुल 32 खिड़कियों पर अत्याधुनिक सुरक्षा के तहत टाइटेनियम की जालियां लगाई जा रही हैं। शनिवार को एक खिड़की पर टाइटेनियम जाली का सफल परीक्षण किया गया, जिसे देखकर निर्माण समिति ने संतोष जताया। मिश्र ने बताया कि टाइटेनियम एक हल्की, लेकिन अत्यंत मजबूत धातु है, जिसकी उम्र हज़ार वर्षों से अधिक होती है। 15 अगस्त 2025 तक सभी खिड़कियों पर यह सुरक्षा जाली लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा.
वैकल्पिक गर्भगृह बनेगा स्थायी धरोहर
रामलला की मूल गर्भगृह में वापसी के बाद भी मंदिर निर्माण के दौरान स्थापित वैकल्पिक गर्भगृह को संरक्षित किया जाएगा। 25 मार्च 2020 से 22 जनवरी 2024 तक रामलला इसी वैकल्पिक गर्भगृह में विराजमान रहे.यह गर्भगृह फाइबर से निर्मित है, जिसे अब सागौन की लकड़ी से उसी मौलिक रूप में संरक्षित किया जाएगा। इसे अनब्रेकेबल शीशे से कवर कर धरोहर के रूप में स्थायी रूप में मंदिर परिसर में सहेजने की योजना है.
जल्द दिखेगा राममंदिर का भव्य रूप
मंदिर निर्माण का अंतिम चरण तेजी से पूरा किया जा रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि वर्ष 2025 के अंत तक मंदिर का सम्पूर्ण रूप पूरी तरह तैयार हो जाएगा। समिति की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि मंदिर में निर्माण के प्रत्येक चरण को न केवल भव्यता, बल्कि दीर्घकालिक सुरक्षा और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए अंजाम दिया जा रहा है.
रामनगरी अयोध्या एक बार फिर इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से दर्ज होने को तैयार है—जहां श्रद्धा, शिल्प और सुरक्षा का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा.