राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह: जनकपुर से आएंगे माता जानकी के भक्त, भव्य आयोजन की तैयारी

अयोध्या : श्रीराम जन्मभूमि परिसर में 5 जून को प्रस्तावित द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। इस बार का समारोह विशेष इसलिए भी है क्योंकि इसमें माता जानकी के मायके जनकपुर, नेपाल से भी बड़ी संख्या में भक्त सम्मिलित होंगे. यह आयोजन न केवल धार्मिक भावना से ओतप्रोत होगा, बल्कि भारत-नेपाल सांस्कृतिक संबंधों को भी और मजबूत करेगा.आयोजन की व्यापकता और इसकी सांस्कृतिक महत्ता को देखते हुए इसे एक ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है.

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विश्व हिंदू परिषद नेपाल के पदाधिकारी इस अवसर पर जनकपुर से अधिकाधिक भक्तों को अयोध्या लाने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से जनकपुर स्थित जानकी मंदिर के महंत को भी विधिवत निमंत्रण भेजा जा रहा है। यह निमंत्रण एक प्रतीकात्मक संदेश भी है कि यह आयोजन केवल भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक रामभक्तों का है, और इसमें सीमाओं से परे आस्था का आदान-प्रदान हो रहा है.

 

 

गौरतलब है कि 22 जनवरी 2024 को जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, तब भी जनकपुर से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे थे.अब जब राम मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार की स्थापना की जा रही है और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों की भी प्रतिष्ठा होनी है, तो यह समारोह और भी अधिक भव्य होने वाला है.ऐसे में जनकपुर से आने वाले भक्तों की भागीदारी पूरे आयोजन को एक अंतरराष्ट्रीय आयाम देती है.

 

ट्रस्ट द्वारा विभिन्न मतों और पंथों के धर्माचार्यों को भी आमंत्रित किया जा रहा है.यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता का प्रतीक बनने जा रहा है.धर्मगुरुओं की उपस्थिति से यह समारोह सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक एकता का संदेश देगा.

समारोह के प्रचार-प्रसार और मीडिया कवरेज के लिए प्रिंट मीडिया संस्थानों को भी विशेष आमंत्रण भेजा गया है.कई प्रमुख अखबारों और पत्रिकाओं ने आयोजन की महत्ता को देखते हुए इसे अपने मुख्य पृष्ठों पर स्थान देना शुरू कर दिया है.अयोध्या में सुरक्षा और व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं.जनकपुर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष ट्रेन और बसों की व्यवस्था की जा रही है.

राम मंदिर का यह प्राण प्रतिष्ठा समारोह एक ऐसा अवसर है जो इतिहास में लंबे समय तक स्मरणीय रहेगा। इसमें भागीदारी करना न केवल भक्तों के लिए सौभाग्य की बात है, बल्कि यह भारत और नेपाल की सांस्कृतिक और धार्मिक साझेदारी का जीता-जागता उदाहरण भी प्रस्तुत करता है.5 जून को होने जा रहा यह आयोजन पुनः यह प्रमाणित करेगा कि अयोध्या न केवल राम की जन्मभूमि है, बल्कि संपूर्ण विश्व के रामभक्तों की आस्था का केंद्र भी है.

 

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