बलात्कार के आरोप में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आ गए हैं. उनको 21 दिनों की फरलो मिली है. बताया जा रहा है कि फरलो अवधि के दौरान राम रहीम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बरनावा आश्रम में रहेंगे. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि फरलो और पैरोल में क्या अंतर है. क्या कैदियों का जेल से बाहर बिताया गया समय उनकी सजा में गिना जाता है? आइए जानते हैं.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की ओर से कुछ दिनों पहले गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल और फरलो दिए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. लेकिन पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और हरियाणा सरकार को निर्देश दिए कि गुरमीत राम रहीम को फरलो या पैरोल दिए जाने को लेकर कंपिटेंट अथॉरिटी नियमों के आधार पर फैसला लिया जाए.
पैरोल और फरलो में क्या अंतर है?
फरलो और पैरोल दोनों में सजा काट रहे कैदियों को जेल से बाहर जाने की अनुमति मिलती है. लेकिन इन दोनों के बीच अंतर होता है. दिल्ली हाई कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, पैरोल में कैदी को थोड़े दिनों के लिए अस्थाई रूप से छोड़ा जाता है. इसका मकसद यह होता है कि कैदी अपने परिवार और समुदाय के साथ सामाजिक रूप से जुड़ा/जुड़ी रह सके.
फरलो पाने के लिए कैदी को जेल में कुछ साल बिताने पड़ते है. अगर उसका व्यवहार अच्छा रहता है और वो जेल में अनुशासन बनाए रखता है, तो उसे कम समय के लिए छोड़ा जाता है. फरलो उस कैदी को दी जा सकती है जिसे 5 साल से ज्यादा सालों के लिए सख्त सजा दी गई हो और वह दोषसिद्धि के बाद तीन साल की सजा काट चुका हो.
जेल से बाहर बिताए समय को सजा में गिना जाएगा?
पैरोल की अवधि के दौरान जेल से बाहर बिताए गए दिनों को सजा के रूप में नहीं गिना जाता. पैरोल और फरलो में सबसे बड़ा अंतर है कि फरलो के दौरान जेल से बाहर बिताए गए दिनों को सजा की अवधि में गिना जाता है.
कितने समय बाद पैरोल या फरलो के लिए दोबारा अप्लाई कर सकते हैं?
एक बार पैरोल या फरलो मिलने के बाद कैदी को फिर से अस्थाई रूप से जेल से बाहर जाने की अनुमति मिल सकती है. इसके लिए कैदी को अर्जी देनी होगी. एक बार पैरोल मिलने के बाद दोषी 6 महीने बाद फिर से पैरोल के लिए अर्जी डाल सकता है. फरलो के मामले में दोषी पहले फरलो लेने के एक महीने बाद दोबारा फरलो के लिए प्रार्थना पत्र दे सकता है.
हालांकि, आपातकालीन मामलों में पैरोल लेने के 6 महीने के भीतर ही दोबारा पैरोल ली जा सकती है. आपातकालीन परिस्थिति में दोषी की पत्नी द्वारा बच्चे को जन्म देना, किसी पारिवारिक सदस्य की मौत या गंभीर बीमारी और बच्चों का विवाह शामिल है.
यदि प्रशासन पैरोल या फरलो के विषय में निर्णय नहीं लेता है तो कैदी प्रशासन के आदेश को चुनौती दे सकता है. यदि प्रशासन पैरोल का प्रार्थना पत्र मिल जाने के बाद उस पर 4 हफ्ते में निर्णय नहीं लेता, तो कैदी उसको चुनौती दे सकता है. फरलो के मामले में यह अवधि 2 हफ्ते की है.
कब-कब बाहर आए राम रहीम?
राम रहीम को 17 जनवरी 2019 और 18 अक्टूबर 2021 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. उनको पहली बार एक दिन की पैरोल 24 अक्टूबर 2020 को मिली थी. राम रहीम को 13 अगस्त कोदसवीं बार जेल से छूट मिली है. वह फरलो पर 21 दिन के बाहर आए हैं.
- 21 मई 2021 (दूसरी बार) – एक दिन के लिए
- 7 फरवरी 2022 (तीसरी बार) – 21 दिन के लिए
- 17 जून 2022 (चौथी बार) – 30 दिन के लिए
- 15 अक्टूबर 2022 (पांचवी बार) – 40 दिन के लिए
- 21 जनवरी 2023 (छठी बार) – 40 दिन के लिए
- 20 जुलाई 2023 (सातवीं बार) – 30 दिन के लिए
- 21 नवंबर 2023 (आठवीं बार) – 21 दिन के लिए
- 19 जनवरी 2024 (नौंवी बार) – 50 दिन के लिए