UNESCO ने रामचरित मानस, पंचतंत्र और सह्रदयलोक-लोकन को वैश्विक मान्यता दी है. इन साहित्यिक रचनाओं को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर (MOWCAP) में शामिल किया गया है.
द मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड इंटरनेशनल एडवाइजरी और एग्जीक्यूटिव बोर्ड की तरफ से रिकमेंड किए गए दस्तावेजों को वैश्विक महत्व और यूनिवर्सल वैल्यू के आधार पर इस लिस्ट में शामिल करता है.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
रीजनल रजिस्टर में शामिल दस्तावेजों को विश्व स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलती है. साथ ही एक देश की संस्कृति दुनिया के कई देशों तक पहुंचती है.
इन रचनाओं को दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स (IGNCA) की तरफ से रीजनल रजिस्टर के लिए नामांकित किया गया था.
उलनाबटार में MOWCAP की बैठक में इन दस्तावेजों को प्रस्तुत करने वाले IGNCA कला विभाग के HOD प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ ने बताया कि UNESCO के 38 सदस्य और 40 ऑब्जर्वर देशों ने इन साहित्यिक रचनाओं के वैश्विक महत्व को पहचान कर इन्हें मान्यता दी है. उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय संस्कृति के प्रसार और संरक्षण के लिए मील का पत्थर साबित होगी.
IGNCA की तरफ से पहली बार रीजनल रजिस्टर के लिए आवेदन भेजा गया था. जो दस बैठकों के बाद स्वीकार कर लिया गया.
संस्कृति मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि रामचरितमानस, पंचतंत्र और सह्रदयलोक-लोकन जैसी रचनाओं ने भारतीय संस्कृति और साहित्य को गहराई से प्रभावित किया है. इन साहित्यिक रचनाओं सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि भारत के बाहर के लोगों पर भी गहरा असर छोड़ा है.
UNESCO की तरफ से इन रचनाओं को मान्यता मिलना भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के लिए गौरव की बात है. साथ ही यह सम्मान भारतीय संस्कृति के संरक्षण की तरफ नई कदम बढ़ाने में मदद करेगा.
रामचरितमानस भगवान राम के चरित्र पर आधारित धार्मिक ग्रंथ है जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी भाषा में लिखा. पंचतंत्र मूल रूप से संस्कृत भाषा की रचना जिसमें दंत और लोक कथाएं शामिल हैं,इस विष्णु शर्मा ने लिखा है. वहीं सहृदयलोक-लोकन की रचना आचार्य आनन्दवर्धन ने संस्कृत में की थी.