अयोध्या: म्यूजियम में रखा जाएगा रामलला का टेंट और सिंहासन, राम मंदिर आंदोलन की यादें भी संजोई जाएंगी

राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने रविवार को कहा कि जिस अस्थायी तंबू में रामलला 30 साल तक विराजमान रहे और जिस सिंहासन पर 1949 से विराजमान हैं, उसे तीर्थयात्रियों के लिए स्मारक के रूप में सुरक्षित रखा जाएगा. इसका मकसद अयोध्या में ‘राम मंदिर के लिए दशकों लंबे संघर्ष की कहानी बताना’ है. ट्रस्ट ने शनिवार को मंदिर निर्माण समिति की बैठक के दौरान यह फैसला लिया है.

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इसके साथ ही मंदिर कॉम्प्लेक्स में सभी कार्यों को पूरा करने की समय सीमा 30 जून तय की गई है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने अयोध्या में मीडियाकर्मियों से कहा, “इससे पहले भगवान जूट से बने अस्थायी तंबू में रहते थे. इसे और उस सिंहासन को, जिस पर वे 1949 से विराजमान थे, स्मारक के रूप में रखा जाएगा. इसे तीर्थयात्रियों और आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाएगा, जिससे वे इस तरह के कदम उठा सकें कि ऐसी स्थिति फिर से न आए.”

मंदिर परिसर में चल रहे कई तरह के काम

मंदिर में चल रहे कार्यों के बारे में नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि मौजूदा वक्त में मुख्य चुनौती परकोटा (मंदिर परिसर के चारों ओर आयताकार परिसर की दीवार) को पूरा करना और मुख्य मंदिर से उसका संपर्क स्थापित करना है. उन्होंने आगे कहा, “परकोटा में एक लिफ्ट का निर्माण किया जाएगा. इसके साथ ही, परकोटा को मंदिर के पश्चिमी हिस्से से जोड़ने के लिए एक पुल का निर्माण भी पूरा किया जाएगा. इस पर काम चल रहा है.”

उन्होंने कहा कि शिखर पर बिजली गिरने से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए लाइटनिंग अरेस्टर भी लगाए जा रहे हैं. मुख्य मंदिर ध्वज की स्थापना में चार महीने और लग सकते हैं, क्योंकि यह शुभ अवसर पर किया जाएगा.

ट्रस्ट मंदिर की पहली मंजिल पर राम दरबार की स्थापना के लिए एक और समारोह आयोजित करने की तैयारी कर रहा है, जहां राम को ‘राजा’ के रूप में दिखाया जाएगा और परिसर में अन्य मंदिरों के लिए भी अभिषेक समारोह आयोजित किया जाएगा.

मंदिर परिसर में बनेगा ‘पंचवटी’

मंदिर के ट्रस्ट ने रविवार को कहा कि मंदिर परिसर का 60 फीसदी इलाका हरित क्षेत्र होगा. राम मंदिर परिसर के आधे से ज्यादा हिस्से को हरित क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाएगी. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि अयोध्या शहर में किसी भी तरह के प्रदूषण को रोकने के लिए पूरे इलाके में जीरो-डिस्चार्ज पॉलिसी का पालन किया जाएगा.

हरित पहल के पैमाने पर बात करते हुए नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, “भूमि का एक अहम हिस्सा बगीचों, फलदार और छायादार पौधों के लिए आवंटित किया जा रहा है, जिसका नाम संभवतः ‘पंचवटी’ रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि इन बगीचों और परिसर के अन्य पर्यावरणीय पहलुओं को विकसित करने और बनाए रखने की जिम्मेदारी एक समूह को सौंपी गई है, जिसके साथ पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट होगा.

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