गाज़ीपुर : नवरात्र के इस पवित्र महीने में भगवान राम के जीवन से संबंधित लीलाओं को मंचन का कार्यक्रम शुरू हो गया है बात करें गाजीपुर की तो गाजीपुर की एक रामलीला जिसके लिए अंग्रेज कलेक्टर को भी रामेलीला के लिए रास्ते का चयन करना पड़ा था और उसके बाद से ही उस रास्ते पर ताजिया जाने का क्रम बंद हो गया जो आज भी लगातार चल रहा है वहीं इसकी प्राचीनता की बात करें तो यह रामलीला रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास के समय में उनके शिष्य मेघाभगत के द्वारा शुरू किया गया था जो चित्रकूट वाराणसी और गाजीपुर में एक साथ शुरू हुआ था और यह लगातार चलता आ रहा है.
गाजीपुर के इस रामलीला की सबसे खास बात यह है कि यह रामलीला किसी एक स्थान पर न होकर अलग-अलग स्थान पर रामलीलाओं का मंचन किया जाता है और जिसे देखने के लिए प्रतिदिन हजारों की भीड़ उमड पड़ती है मौजूदा समय में भी रामलीला का दौर शुरू है और अब वह अपने विभिन्न स्थानों से होते हुए रामलीला मैदान लंका तक पहुंच गया है जहां पर प्रतिदिन रामलीला का संचालन किया जा रहा है
इस बारे की रामलीला रायबरेली के कलाकारों के द्वारा पेश किया जा रहा है.रामलीला कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी ने बताया कि तुलसीदास जी ने जब काशी में तिथि वार मेघाभगत के साथ मिलकर रामलीला मंचन का दौर शुरू किया उस वक्त चित्रकूट रामनगर और गाजीपुर में रामलीला शुरू हुआ जो चलायमान रामलीला के रूप में आज भी चल रहा है। उन्होंने बताया कि सभी लीलाओं को करते हुए 2 अक्टूबर को विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा जिसमें 60 फीट के रावण को जलाया जाएगा.
उन्होंने बताया कि लगभग 40 से 50 के दशक में एक बार विजयादशमी और मोहर्रम ऐक साथ पड़ गया था जिसको लेकर विवाद की स्थिति आ गई थी तब तत्कालीन अंग्रेज डीएम मुनरो के द्वारा एक रास्ता निकाला गया और ताजिया और रामलीला के लिए अलग-अलग रास्ते चयन कर दिए गए जो आज भी उन्हीं रास्तों पर चलते आ रहे हैं जिसके चलते कभी कोई रास्ते को लेकर भी बात नहीं हुआ.