सोनभद्र के ओबरा में टीपरों का तांडव: जनता दहशत में, प्रशासन बेखबर

सोनभद्र : ओबरा बिल्ली मारकुंडी के लोग तो डर के मारे कांप रहे हैं, जैसे भूतों का साया मंडरा रहा हो. ये टीपर वाले ऐसे बेलगाम घूम रहे हैं, मानो सड़क उनकी जागीर हो. पूर्वांचल पत्रकार एकता समिति के नगर महासचिव ने एसडीएम साहब को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें इन टीपरों की मनमानी का पूरा चिट्ठा खोला है.

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टीपरों का आतंक: खदानों से निकले ये भारी-भरकम टीपर, ओवरलोड होकर ऐसे दौड़ते हैं, जैसे रेस में भाग ले रहे हों. सड़क पर पत्थर, गिट्टी और भस्सी ऐसे गिरते हैं, जैसे आसमान से ओले बरस रहे हों. और तो और, कुछ दिन पहले तो हमारी सीओ सिटी चारु द्विवेदी जी की गाड़ी को भी इन टीपरों ने टक्कर मार दी थी, शुक्र है, वो बाल-बाल बच गईं.

 

सवाल ये है कि बिल्ली मारकुंडी के लोगों को इस प्रदूषण और खतरे से कब मुक्ति मिलेगी? यहाँ तो कॉलेज, रेलवे स्टेशन और घनी आबादी है, फिर भी इन टीपरों की स्पीड पर कोई लगाम नहीं है. शारदा मंदिर चौराहे पर लाखों रुपये खर्च करके पुलिस केंद्र तो बना दिया, लेकिन उसमें ताला लटका हुआ है. गजराज नगर से बग्गा नाला तक सड़क पर पत्थर और गिट्टी बिखरी पड़ी है, जिससे लोग गिर-गिर कर घायल हो रहे हैं. लेकिन साहब, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता.

 

क्रेशर यूनियन की मनमानी: खनन माफिया के दबाव में क्रेशर यूनियन वाले सिर्फ नाम के लिए काम कर रहे हैं. न तो सड़कों पर पानी का छिड़काव होता है, न ही झाड़ू लगती है, जिससे प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. पत्रकार भी इस सड़क पर चलने से डर रहे हैं. सरकार ने सड़क तो 20-25 फीट चौड़ी बनवा दी, लेकिन असली सड़क तो सिर्फ 10 फीट की है, बाकी पर पत्थर और गिट्टी का कब्जा है.

 

पत्रकारों की गुहार: पूर्वांचल पत्रकार एकता समिति ने एसडीएम से गुहार लगाई है कि इन टीपरों पर लगाम लगाई जाए, सड़क से मलबा हटाया जाए और प्रदूषण रोकने के लिए कुछ किया जाए. ताकि बिल्ली मारकुंडी के लोगों को थोड़ी राहत मिले और भविष्य में होने वाले हादसों को टाला जा सके.

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