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UP में दुष्कर्म के आरोपी को मिली आजीवन कारावास की सजा, 4 साल की मासूम के साथ किया था गंदा काम

हरदोई : चार वर्षीय मासूम से दुष्कर्म और गला दबाकर हत्या का प्रयास करने के दोषी को हरदोई की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है तथा 60 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने जुर्माने की धनराशि पीड़िता को अदा करने का भी आदेश दिया है. 4 वर्ष पूर्व दोषी ने पीड़िता को झाड़ियों में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था और गला दबाकर जान से करने का भी प्रयास किया. खून से लथपथ पीड़िता किसी तरह अपने घर पहुंची और परिजनों को घटना के बारे में बताया था.

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विशेष लोक अभियोजक अमित कुमार शुक्ला ने बताया कि 8 अगस्त 2020 को हरदोई शहर कोतवाली में एक व्यक्ति द्वारा दी गई तहरीर में बताया गया कि 7 अगस्त की शाम करीब 7 बजे उसकी 4 वर्षीय पुत्री को शुगर मिल कालोनी मंगली पुरवा निवासी छोटे उर्फ अखिलेश पांडेय पुत्र करुणा शंकर झाड़ियों की तरफ ले गया और उसकी पुत्री के साथ दुष्कर्म किया. छोटे उर्फ अखिलेश पांडेय ने उसकी पुत्री को गला दबाकर जान से करने का प्रयास भी किया, जिससे उसके गले पर चोट के निशान हैं. उसकी पुत्री के प्राइवेट पार्ट से भी खून बह रहा है। आरोपी के भाग जाने के बाद उसकी पुत्री को होश आया तो वह खून से लथपथ अवस्था में अपने घर पहुंची और परिजनों को पूरी बात बताई. पुलिस ने तहरीर के आधार पर आरोपी के खिलाफ सुसंगत धाराओं में केस दर्ज किया. पुलिस ने पीड़िता की का मेडिकल परीक्षण कराया और विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय प्रेषित किया. ट्रायल के दौरान अभियोजन की पक्ष की ओर से पीड़िता, उसके पिता (वादी मुकदमा), माता के अलावा डॉक्टर, विवेचक सहित कुल 9 गवाहों को पेश किया. अभियोजन पक्ष और आरोपी के अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 15 (पाक्सो) श्रद्धा तिवारी ने छोटे उर्फ अखिलेश पांडेय को पोक्सो एक्ट एवं धारा 307 का दोषी माना.

 

न्यायाधीश ने प्रकरण के तथ्यों, स्थितियां एवं अपराध की गंभीरता पर विचार करते हुए दोष सिद्ध छोटे उर्फ अखिलेश पांडेय को पोक्सो एक्ट के अपराध में सश्रम आजीवन कारावास एवं 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना अदा न करने पर एक वर्ष अतिरिक्त कारावास का आदेश दिया. धारा 307 के अंतर्गत 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना दना न करने पर 3 माह के अतिरिक्त कारावास से दंडित करने का आदेश दिया. न्यायाधीश ने अपने दंडादेश में कहा कि धारा 42 पाक्सो एक्ट के प्रावधान को ध्यान में रखते हुए दोषी के विरुद्ध धारा 376 आईपीसी के अपराध में अलग से आदेश नहीं पारित किया जा रहा है, वह इसी दंडादेश में समाहित माना जाएगा. न्यायाधीश ने यह भी आदेश दिया कि अर्थ दंड की धनराशि दोषी द्वारा जमा करने पर संपूर्ण धनराशि पीड़िता को अदा की जाए.

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