Uttar Pradesh: सुल्तानपुर जिले के कस्बा मोतिगरपुर में उस समय कौतूहल का माहौल बन गया जब स्थानीय निवासी सूरज प्रताप सिंह के घर में एक दुर्लभ पक्षी ने दस्तक दी. यह पक्षी महाराष्ट्र का राजकीय पक्षी ‘हरियल’ (हरे-पीले रंग का एक कबूतरनुमा पक्षी) था, जिसे उत्तर भारत में बहुत कम देखा जाता है.
लोककथाओं और पौराणिक पुस्तकों में इस पक्षी को बहुत शुभ माना गया है
बताया जा रहा है कि यह पक्षी सूरज प्रताप सिंह के घर में अचानक आ गया. हरियल के बारे में कई रोचक मान्यताएं प्रचलित हैं. माना जाता है कि यह पक्षी कभी भी अपने पैर सीधे जमीन पर नहीं रखता. जब यह जमीन पर आता है, तो अपने पैरों के नीचे एक लकड़ी रखकर ही बैठता है, जिसे वह खुद से अलग नहीं करता. यह पक्षी ऊंचे पेड़ों वाले घने जंगलों में रहना पसंद करता है और अधिकतर पीपल या बरगद के पेड़ों पर ही अपना घोंसला बनाता है. लोककथाओं और पौराणिक पुस्तकों में इस पक्षी को बहुत शुभ माना गया है. कहा जाता है कि यदि यह किसी स्थान पर घोंसला बना ले, तो वह स्थान अत्यंत भाग्यशाली माना जाता है. इसके अलावा, अगर यह पक्षी लकड़ी पकड़े हुए दिख जाए, तो इसे ‘सोने पर सुहागा’ माना जाता है.
सूरज प्रताप सिंह ने इस पक्षी के बारे में वन विभाग को सूचना दी. सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम के दैनिक वाचर धर्मेंद्र सिंह, उमाशंकर और अमरनाथ ने मौके पर पहुंचकर हरियल को सुरक्षित अपने संरक्षण में ले लिया. वन विभाग की टीम ने बताया कि यह पक्षी बहुत ही दुर्लभ है और उत्तर भारत में शायद ही कभी दिखाई देता है. पक्षी के सेहत की जांच के बाद उसे किसी सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा.