रतलाम जिले से 25 किलोमीटर दूर सैलाना देवरुंडा गांव है. यहां के लोग 2 दिन से घरों में कैद हैं. सड़कों पर सन्नाटा पसरा है. महिलाएं और बच्चे खिड़की से झांक रहे हैं. तेंदुए का डर ऐसा है कि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अफसरों ने सभी को घरों में अंदर रहने के लिए कहा है. अफसर समझा रहे थे कि शाम को बच्चों का ध्यान रखना और अकेला बाहर मत छोड़ना. बच्चे कह रहे थे कि 5 शेर थे और 3 छोटे बच्चे भी साथ में थे.
बुधवार रात यहां तेंदुए ने 8 बकरे-बकरियों का शिकार किया था. बचाने आए ग्रामीण पर भी हमला करने की कोशिश की. जैसे-तैसे उसने जान बचाई. ये मंजर प्रत्यक्षदर्शियों की नजरों के सामने तैर रहा है. यहां घरों के दरवाजे बंद थे. बच्चे खिड़कियों से झांक रहे थे. माता-पिता मजदूरी पर गए थे. तेंदुए ने जिस घर के बाहर हमला बोला था, वहां भी ताला जड़ा था. मकान मालिक सुरेश अपने 2 छोटे बच्चों के साथ आए. उनके चेहरों पर दहशत साफ नजर आ रही थी. एक छात्रा ने कहा, तेंदुआ मेरे सामने बकरियां खा गया. डर है कि हमें ना खा जाए.
देवरुंडा के रहने वाले सुरेश ने बताया ‘बुधवार रात करीब 11:30 बजे घर के बाहर बंधी बकरे व बकरियों पर तेंदुए ने हमला कर दिया था. उसके साथ 3 शावक भी थे. जानवरों की चीखने की आवाज आई, तो मैं बाहर निकला. देखा कि तेंदुआ मवेशियों पर हमला कर रहे हैं. मैंने तेंदुए को भगाने का प्रयास किया, तो तेंदुए ने मुझ पर हमला करने की कोशिश की. मैं जैसे-तैसे दौड़कर घर के अंदर घुस गया. अंदर से दरवाजा बंद कर लिया. इससे मेरी जान बच गई. गांव के लोगों को फोन कर तेंदुए के आने की सूचना दी. गांव के लोग इकट्ठे हुए. कुछ लोग बाइक लेकर आए. दूर से हॉर्न बजाया. तब तेंदुआ अपने बच्चों के साथ भाग गया. तेंदुए ने 7 बकरे व एक बकरी को मार दिया.’ घटना के दूसरे दिन वन विभाग का अमला गांव में पहुंचा. गांव वालों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में नर-मादा के साथ तेंदुए के 3 शावकों का मूवमेंट है.
सूचना पर सैलाना वन परिक्षेत्र के अधिकारियों ने पहुंचकर सर्चिंग की. तेंदुए के फुट प्रिंट देखे, लेकिन पथरीली जमीन होने के कारण फुट प्रिंट साफ नहीं दिखाई दिए. जिन जानवरों का शिकार किया, उनका पोस्टमॉर्टम कराया. पीएम रिपोर्ट में डॉक्टर ने तेंदुए के शिकार की पुष्टि की है. इसके बाद वन विभाग का अमला अलर्ट हो गया है. 2 से 3 दिन तक तेंदुए के मूवमेंट पर अफसर नजर बनाए हैं.
यह गांव सैलाना-शिवगढ़ मार्ग से अंदर एक किमी दूर पहाड़ों के बीच बसा है. यहां जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है. पथरीला व ऊबड़-खाबड़ रास्ता है. घर दूर-दूर बसे हैं. करीब 100 से 125 घर हैं. आबादी 600 के करीब है. सभी खेती व मजदूरी करते हैं. गांव में बाइक के अलावा आने का कोई साधन नहीं है. चार पहिया वाहन को भी आने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पिछले एक साल में सैलाना, सरवन के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में तेंदुए के आने की यह 5वीं घटना है.
12वीं की छात्रा सीता गामड़ ने घर की खिड़की से ही बताया कि सब गहरी नींद में थे. इसी बीच पड़ोसी सुरेश के मकान के बाहर बंधे बकरे-बकरियों की जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज सुनाई दी. खिड़की से झांका तो देखा कि तेंदुए बकरे-बकरियों पर हमला कर जमीन पर गिरा रहे हैं.
सीता ने कहा- डर लग रहा है कि तेंदुए फिर आ जाएंगे तो हमें खा जाएंगे.
सैलाना वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर गजराज सिंह डोडिया, बीट प्रभारी राकेश डिंडोर और पप्पू सिंह शुक्रवार दोपहर गांव पहुंचे. उन्होंने ग्रामीणों को समझाया कि तेंदुए के मूवमेंट पर सूचना दें. बच्चों का ध्यान रखें. अकेले बाहर न छोड़ें. घर के बाहर न सोएं.
वन अधिकारियों की मानें, तो बकरे-बकरियों के गले में तेंदुए के दांतों के निशान 1.5 से 2 इंच पाए गए हैं. तेंदुए का लगातार मूवमेंट होने पर वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाकर पिंजरा भी रखा जाएगा.